राहुल गांधी ख़ास से आम तक

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rahul-gandhi1राहुल सेंगर

बात 10 साल पहले की है मैं उस वक़्त कक्षा 10 में हुआ करता था और लोकसभा चुनाव होंने वाले थे!उस समय इंडिया शाइनिंग के नारे और अटल बिहारी बाजपाई, प्रमोद महाजन जैसे कद्दावर नेताओ की मौजूदगी से भाजपा का जितना तय मन जा रहा था ! पर अचानक ही देश के चुनावी परिणाम के बदलते रुख में कांग्रेस का उदय एक बार फिर हुआ और साथ में उदय हुआ भारत के तथाकथित राजकुमार,नयी सोच के स्वामी,युवा ऊर्जा से परिपूर्ण श्री राहुल गाँधी जी का!!!देश के हर तबके ने राहुल गाँधी को आधुनिक भारत के निर्माण के उस प्रणेता के रूप में देखा जो भारत को एक नयी सोच ,नयी दिशा ,नयी व्यवस्था ,नया विचार देगा !मुझे भी अच्छा लगा की मेरा नामराशी है,प्राक्रतिक ख़ुशी होती है!!खैर उस वक़्त राहुल गाँधी ने अपनी राजनैतिक पारी शुरू की और मैंने देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज IIT की प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण किया !लोग मुझसे मिलते और कहते और भाई राहुल गाँधी कमाल कर दिया ..मुझे भी ख़ुशी हुई क्यूंकि तबतक राहुल गाँधी ने बोलना और काम करना शुरू नहीं किया था !कुछ साल और बीते और अचानक राहुल गाँधी ने अपने तेज़ दिमाग को चलाना शुरू किया! राजस्थान जाके मजदूरों के साथ मिटटी ढोने लगे,गरीबो के घर जाके चाय पीने लगे!वो गरीब जो बढती महंगाई में खुद चाय बना के नहीं पीता था पर जब राहुल मीडिया के साथ उसके घर पहुचने लगे तो मरता क्या न करता उसे चाय बनानी पड़ती !बदले में राहुल उससे बात कर लेते ,गले में हाथ दाल देते और उस वक़्त गरीब सोच रहा होता की चाय में आज की कमाई चली गयी अब आज रोटी कैसे खायेंगे!

खैर उससे राहुल को क्या उन्हें मीडिया ने जहाँ उन्हें जननेता ,मसीहा और न जाने क्या क्या घोषित कर दिया वहीँ टीवी देखने वाले लगभग सभी दर्शको ने राहुल को नासमझ घोषित कर दिया जो बिल्ल्कुल सही था !क्यूंकि जनता ने राहुल से चाय पीने की उम्मीद नहीं की थी वरन उनसे उम्मीद की गयी थी की वो कुछ ऐसा करेंगे की गरीब चाय पीने लायक हो सकेगा !ये बात इतनी बड़ी नहीं थी लोगो ने सोचा चलो गरीबो के लिए कुछ किए नहीं तो क्या ,मिला तो और २००९ में कांग्रेस को फिर जीता दिया इस सपने के साथ की राहुल प्रधानमंत्री बनेंगे पर राहुल ने ऐसा नहीं किया और आज मैं सच में उनके इस फैसले का समर्थन करता हूँ क्यूंकि ये एक ही काम राहुल ने अच्छा किया वरना शायद देश में काम कुछ बदलता या न बदलता हर घर में राहुल की चाय पीती तस्वीर ज़रूर लग जाती !२००९ के बाद से अब तक अन्ना के आंदोलन से लेके दिल्ली के उस स्वतः स्फूर्त आंदोलन तक न्याय जब-जब माँगा गया तब तब राहुल गाँधी अपने बंगले में बैठे रहे !देश की जनता उनके बाहर निकलने का,एक आश्वासन का इंतज़ार करती रही और बस करती रही पर राहुल गाँधी के ठेंगे से !अब तक ये साबित हो चूका था कि राहुल गाँधी की कोई सोच नहीं है अगर होती तो इन राष्ट्रीय आंदोलन को शांत करने के लिए वो बाहर आते क्यूंकि शायद उन्हें पता नहीं की ये ही कूटनीति है यही मौके होते है जिनमे आप देश को नेतृत्व प्रदान करते है !आज सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा किसी का मखौल उड़ाया जाता है तो वो राहुल गाँधी का है और मखौल उड़ाने वाली जनता अधिकांशतः युवा वर्ग है !

हाल के परिपेक्ष्य में बात करू तो अभी CII में उद्योगपतियों के समक्ष दिए राहुल के भाषण ने निराशा को और बढ़ा दिया है !राहुल ने बोला की उनकी सोच मायने नहीं रखती उन्हें ऐसा लगता है क्यूंकि एक सोच से कुछ नहीं होता! सुन के अनायास ही हसी सी आ गयी कि कोई नेता जिसे एक पार्टी अपना भविष्य मान रही है वो ऐसी बेतुकी ,बेबुनियाद बात करेगा!राहुल गाँधी जी आपको पता होना चाहिए कि एक सोच बहुत होती है ,बस उस सोच की नियत और उसका विस्वास सही होना चहिये !सोच अच्छी हो तो वो देश की सोच बन जाती है और देश की तस्वीर बदल जाती है जैसे पूज्य बापू ने किया था और देश आज़ाद हो गया! उनकी सोच सही थी इसलिए उन्हें देश ने सराहा और उन्हें सहयोग मिला और देश की तस्वीर बदली! पर राहुल गाँधी जी आपसे ये नहीं हो पायेगा क्यूंकि जिसकी वजह से एक नेता देश का नेता बनता है उस गहरी ,उदार सोच की आपमें बहुत कमी है ! एक समय युवा वर्ग की पहली पहचान होने वाले आप आज उसी युवा वर्ग की लिस्ट में भी शामिल नहीं है !जिसका पूरा श्रेय किसी और को नहीं बस आपको है !राहुल गाँधी के हर भाषण को जो मैं या देश की अधिकांश जनता सुनना पसंद नहीं करती उसमे एक शब्द “चाहिए” का बड़ा उपयोग होता है..जैसे हमे गरीबी हटानी चाहिए,धनवान लोगो को मदद को आना चाहिए,समेकित विकास होना चाहिए ,ग्राम प्रधानो को स्वायत्ता मिलनी चाहिए !मैं ये कहता हूँ की ‘हे राहुल ‘कब तक ये “चाहिए” के फेर में फसे रहोगे और कब इसे “करेंगे” या “करना होगा” में बदलेंगे क्यूँकी शायद राहुल गाँधी आपको ये पता नहीं है की “चाहिए” शब्द में निश्चितता नहीं होती ,कि काम होगा या नहीं और एक भावी प्रधानमंत्री या एक अच्छे राजनेता के भाषण में निश्चितता का अभाव हो तो वो भाषण और वो राजनेता दोनों ही देश की नज़र से और देश के लोगो के लिए  व्यर्थ है!

     राहुल गाँधी बॉलीवुड की उस फिल्म की तरह बन गए है जिनके ट्रेलर अच्छे होने की वजह से उन्हें दर्शक तो मिल जाते है पर फिल्म के प्रदर्शन पर लगते ही मध्यांतर में ही उसकी पोल खुल जाती है और दर्शक भाग खड़े होते है! फिल्म पिट चुकी है और राहुल गाँधी अब “ख़ास से आम” हो चुके है!

हालत ये है की अब दोस्तों को मुझसे कोई काम कराना होता है तो वो मुझे कहते है की भाई काम कर दे वरना तुझे राहुल गाँधी बोल देंगे और मुझे उस नाम से बचने के लिए काम करना पड़ता है !!हंसी वाली बात है पर यही सच है !!कल द एकोमिक में छपे लेख के अनुसार देश की सबसे बड़ी समस्या खुद राहुल गाँधी है !काफी दिनों बाद किसी ने सच बोला है और क्या ख़ूब बोला है !कहते है न की कोई भी इंसान अपनी पहचान अपने व्यक्तित्व,अपने दिमाग,अपनी सोच से बनाता है और राहुल गांधी ने भी बना ली है !वैसे राहुल एक बात के लिए बधाई के पात्र है कि उन्होंने पहले ही बता दिया की उनसे उम्मीद करना बेईमानी है और अगर आप ऐसा करते है तो आप देश को गर्त में ले जाने के खुद जिम्मेदार होंगे उसमे राहुल की गलती नहीं होगी..गलती उन्हें चुनने वालो अर्थात हमारी यानि देश की जनता की होगी !

7 COMMENTS

  1. कितनी सच्चाई से इतनी गंभीर बात लिख जाना वाकई बधाई के पात्र है राहुल सेंगर जी प्रस्तुति विषय एवम व्याख्या सराहनीय है।

  2. Rahul Gandhi is a problem for Congress and is unable to bear the weight of the responsibility of this vast, complex and complicated volatile nation with problems of price rise, unemployment, terrorism, population explosion, corruption, lawlessness right under his nose and he is unable to grasp the ever changing situation and revelation of scams and scandals of his own U.P.A. government led by his own inexperienced mother and lack of Buddhi or intelligence and no work experience or proper education and he is unable to express his views in any language.I am afraid he may have nervous brake down due to enormous pressure and unrealistic expectations from his yes men.

    • absolutly right sir….he is just too good for nothing…it seems like that even congress know that but they have no choice left .

  3. कोई शहर बस गया है, सहर से पहले
    ये गाँव, ये बस्ती अब, उजड़ जायेंगे
    कैसी होती यह आस भी जो इतना कुछ गुजर जाने पर भी बनी रहती है ,ac

    • वाह….क्या बात कही है …….मैं अपनी कुछ पंक्तिया कहूँगा
      कुछ अच्छा होने की उम्मीद भला कहाँ साथ छोडती है!
      भूल जाते है जीना हम,ज़िन्दगी कभी मुह नहीं मोड़ती!!

  4. अब तो चुनाव में राहुल गाँधी चला हुआ पटाखा सिद्ध होंगे.हालाँकि यह बात बहुत से लोगों को नागंवर लगेगी,पर इसकी सत्यता में कोई कमी नहीं. इसलिए मनमोहनजी को एक बार फिर आगे कर चुनाव लड़ा जाएगा और बाद में राहुल को पद पर बैठाया जायेगा.राहुल जो भी बोलतें हैं दरबारियों द्वारा लिखा बोलतें हैं,बोलते हुए उनकी शारीरिक भाषा ऐसी लगती है कि उन्हें जबरन खड़ा किया गया है.यदि आप उनका पूरा भाषण सुने व देखें तो लगता है कि थोड़ी ही देर में हांफते से लगते हैं.एक राष्ट्रीय स्तर के नेता की जो दबग शेल्ली होती है, वह उनमें कहीं नजर नहीं आती.हालाँकि कांग्रेस जन की यह आदत है ही कि गाँधी परिवार के कहे हर एक शबद कि बढ़ा चढ़ा कर व्व्यखायें करतें हैं जिनका पता बोलने वाले को भी नहीं होता.इस हेतु गुणगान करने के लिए बाकायदा कुछ लोग नियुक्त किये हें हैं .जिनका काम उनके बोलते ही तालियाँ बजाना और बजवाना होता है.इसलिए कांग्रेस को बिन मांगी सलाह यही है कि या तो अपने पहले चले सिक्के को ही दुबारा चलाये, या फिर किसी नए पर दांव लगाये.

    • हाँ क्यूंकि वो सोचते है की इस देश की जनता को आज भी “गांधी जी” के उस नाम से आज भी बेवकूफ बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है !मैं तो बस ये चाहता हूँ की हम इनको गलत साबित करे और आगे आके बाते की अब हम जात-पात धरम से ऊपर उठ के बस विकास के मुद्दे पे अपनी सरकार अपने प्रतिनिधि चुनेंगे !तो ये उम्मीद है और उम्मीद ही भविष्य की एकमात्र सच्चाई होती है !

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