राम कृष्ण बुद्ध जिन दस गुरुओं के दरबार एक

—विनय कुमार विनायक
बुद्ध का मत, वैदिक धर्म में सुधार था,
बौद्ध कोई अलग धर्म नहीं, विचार था,
बुद्ध राम कृष्ण का अगला अवतार था,
बुद्ध-महावीर,राम-कृष्ण का विस्तार था!

बुद्ध ने वही किए जो राम कृष्ण ने किए,
राम ने वेद विकृतिकर्ता रावण संहार दिए,
कृष्ण ने पशुबलिग्राही इन्द्र पूजा बार दिए,
तीर्थंकर नेमीपंथी कृष्ण ने गौ उद्धार किए!

बुद्ध ने राम कृष्ण पर किए नहीं कभी वार,
पर बहुजनवादियों ने दिए बुद्ध हाथ तलवार,
रामवंशी को ही किए राम का विरोधी तैयार,
बुद्ध युद्ध नहीं थे,नवबौद्धों ने किए औजार!

ये राम कृष्ण के मंदिर को बुद्ध मठ बताते,
सूर्यवंशी इच्छवाकु राम को काल्पनिक बनाते,
सूर्यपुत्री इला वंशज कृष्ण की गीता झुठलाते,
इच्छवाकु शाक्यमुनि बुद्ध को राम से लड़ाते!

बुद्ध ने जाति व वर्ण व्यवस्था को दुत्कार दिए,
ब्राह्मणवाद के कारण परमात्मा को नकार दिए,
पर बहुजनवादी ने हिन्दुत्व विरुद्ध प्रचार किए,
हिन्दू में बौद्ध शूद्र अलग जाति स्वीकार लिए!

तुम मठ मंदिर गुरुद्वारे को अलग-अलग कहते,
मठ मंदिर गुरुद्वारे में सबके ईस एकसाथ होते,
राम कृष्ण बुद्ध जिन दस गुरुओं के दरबार एक
आगम निगम त्रिपिटक गुरुग्रंथ सबके सार एक!

अगर तुम हो बौद्ध, तो फिर क्रोध क्यों करते?
अगर तुम बौद्ध तो अहिंसा करुणा कहां करते?
बुद्ध को ढाल बनाकर फूट की राजनीति करते,
देश कोरी बुद्ध नीति नहीं, कृष्णनीति से चलते!

अमन चैन की बात करो कृष्ण बांसुरी धुन सुनो,
शिशुपाल सा गाल बजाना छोड़ो, सुदर्शन से डरो,
गुटबंदी करना छोड़ दो, धर्माचरण का वरण करो,
प्रभु राम मां सीता देवी दुर्गा चरित्र ना हरण करो!
—विनय कुमार विनायक

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