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परिचर्चा : पदोन्नति में आरक्षण

  • गत 4 सितम्‍बर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण देने के प्रावधान वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 
  • प्रस्तावित विधेयक में संविधान के कम से कम चार अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा ताकि सरकार एससी.एसटी को पदोन्नति में आरक्षण दे सके। 
  • उच्चतम न्यायालय ने गत 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती मायावती सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था जिसके बाद बसपा अध्यक्ष ने संसद में यह मुद्दा उठाया। इस मुद्दे को लेकर संसद के मौजूदा और पिछले सत्र में भी हंगामा देखा गया था।
  • समाजवादी पार्टी ने इस पर विरोध जताया है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा समेत कई दलों के नेताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को जल्दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहिए और सभी पक्षों पर सावधानी से विचार करने के बाद ही संवैधानिक संशोधन विधेयक लाना चाहिए। जदयू अध्‍यक्ष शरद यादव ने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव पहले ही उनके पार्टी की सरकार वाले बिहार में लाया जा चुका है और वह इसके समर्थक हैं। 
  • सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक को सरकार ने 5 सितम्‍बर को राज्यसभा में प्रस्‍तुत कर दिया। हालांकि इस विधेयक को सदन में पेश करने के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इस विधेयक को प्रस्‍तुत करने के दौरान गतिरोध बढ़ने पर कार्यवाही को स्‍थगित कर दिया गया। सदन में हंगामे के दौरान आरक्षण बिल को लेकर सपा और बसपा सांसदों के बीच जमकर बहस हुई और दोनों दलों के नेताओं में हाथापाई भी हुई। 

आरक्षण के मसले पर भारत आजादी के बाद से ही सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है और अब पदोन्‍नति में आरक्षण का प्रावधान हो रहा है। आपको क्‍या लगता है कि इस प्रावधान से समाज सशक्‍त होगा या फिर सामाजिक सौहार्द टूटेगा? अपने विचार प्रस्‍तुत कर इस परिचर्चा को आगे बढ़ाएं।