आजम खां ने उत्तर प्रदेश में लागू किया ‘‘साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक-2011’’

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azam khanऐसा लगता है कि आजम खां प्रदेश में सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् द्वारा प्रस्तावित ‘‘साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक-2011’’ को पूरी तरह से लागू कर रहे हैं। जिसके अनुसार यदि कहीं भी कोई भी साम्प्रदायिक दंगा होता है तो उसके लिए केवल और केवल हिन्दू को ही दोषी माना जाएगा। क्योंकि मुसलमान तो कभी साम्प्रदायिक दंगें करते ही नहीं है। इसी विधेयक के अनुसार यदि कोई मुसलमान किसी हिन्दू महिला या लड़की के साथ छेड़छाड़, बलात्कार या अपहरण करता है तो उसे अपराधी नहीं माना जाएगा। यदि हिन्दू इसका प्रतिरोध करता है तो वह दोषी होगा और उस पर इस विधेयक के अनुसार कानूनी कार्यवाही होगी। आज मुजफ्फरनगर में जो कुछ भी हो रहा है वह इसी का परिणाम लगता है जिसके कारण मुस्लिम समाज निर्भय होकर हिन्दुओं का खून बहा रहा है तथा प्रशासन हिन्दू को ही दोषी सिद्ध करने में अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। 

मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त, 2013 से लेकर साम्प्रदायिक दंगा आज तक जारी है। ऐसा लगता है कि इन दंगों को आजम खां का खुला समर्थन प्राप्त है जिसके कारण प्रशासन मुस्लिम दंगाईयों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है उल्टे इस दंगें मंे प्रताडित हिन्दू समाज को मुसलमानों के साथ-साथ पुलिस व सेना की भी मार खानी पड़ रही है। पुलिस हिन्दुओं पर लाठी चार्ज किया जा रहा है और उनको ही जेलों में डाल जा रहा है। मुस्लिम समाज मौका देखते ही हिन्दुओं पर आक्रमण कर रहा है क्योंकि राज्य सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों के कारण उनका का दुःसाहस बढ़ता जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में जबसे समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है तब से प्रदेश में लगभग 100 साम्प्रदायिक दंगें हो चुके है। प्रदेश में सपा से पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी। किन्तु मायावती के शासन काल में शायद ही कोई साम्प्रदायिक दंगा हुआ हो। ऐसा क्यांे? शायद आजम खां द्वारा मुसलमानों को पुलिस व अन्य किसी अधिकारी से भी न डरने की बात कहना इन दंगों का मुख्य कारण प्रतीत होता है?

आर. के. गुप्ता

4 COMMENTS

  1. भारत के मुस्लिम समाज के लिये यह किसी विडंबना से कम नहीं कि वह पांच वक्त के नमाजी और एकता के समर्थक मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरहदी गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां को छोड़ व्यक्तिगत जीवन में इस्लाम से कोसों दूर रहे जिन्ना के पीछे चल पड़ा।

    प्रश्न उभरते हैं कि – क्या हम उस एंग्लो-अमेरिकन जाल से बाहर आ सके हैं ? क्या भारत अपने भू-भाग को शत्रुओं के कब्जे से मुक्त करा सका है ? क्या जो भू-भाग हमारे पास है, उसे हम ठीक तरह से संभाल पा रहे हैं ? क्या हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं ? क्या युद्ध की स्थिति के लिये हमारी सेनाएं तैयार हैं ? यदि इन सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं में है तो इससे भी बड़ा प्रश्न है कि यह स्थिति बदले, इसके लिये क्या हमने कोई ठोस उपाय किये हैं ?
    वस्तुस्थिति यह है कि शत्रु सीमा पर ही चुनौती नहीं दे रहा है बल्कि वह हमारे घर में भी आ घुसा है। स्वतंत्रता के 65 वर्षों में हमने इस स्थिति को बदलने के लिये कोई योजनाबद्ध प्रयास नहीं किया है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का मोहरा हम आज भी बने हुए हैं। हमें शांति का उपदेश देने वाली कथित विश्वशक्तियां पाकिस्तान को आज भी समर्थन दे रही हैं, हथियार दे रही हैं, उसे आतंकवाद के विरुद्ध अपना साथी बता रही हैं। चीन लगातार भारतीय सीमा का अतिक्रमण कर रहा है और देश का नेतृत्व बगलें झांक रहा है। अपनी सीमा में घुसपैठ करने पर भी हम चीनी सैनिकों को खदेड़ने के बजाय उनके सामने गिड़गिड़ाते नजर आते हैं।

  2. आज़म खान ने जैसा बयाँ दिया है उससे उसने अपने आपको बेनकाब कर दिया.

    सुरेश माहेश्वरी

  3. आजम खान बिना मुलायम सरकार अपने आपको पंगु समझती है,आजम के करतुते किसी से छिपी नहीं,जो भारतीय राजनीति की समझ रखतें हैं वे यह भी जानते हैं की खान सबसे बड़े सांप्रदायिक हैं, , मुलायम सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं,तो अंजाम यह ही होना था.अभी तो देखिये आगे क्या क्या गुल खिलाएंगे यह सब .

  4. हमारे यहाँ एक कहावत है की यदि सपेरा साँप को छूट देदे तोह साँप अपनी मर्ज़ी स किसी को भी काट सकता है.यह कहावत आज़म खान जी पर पूरी तरह से लागु किया जाता है.ऐसा कैसे हो सकता है की यदि किसी हिन्दू लड़की को मुस्लमान लड़का छेड़े तो उसे माफ़ कर दिया जायेगा .जब पाकिस्तान को भारत से अलग किया जा रहा था तोह आज़म खान जी जैसे कुछ सांप्रदायिक दंगे कराने वाले कुछ लोगो को भारत में छोड़ दिया गया था ताकि जब भारत में हिन्दू में एकता आये तो धर्म के नाम पर दंगे कराये जा सके ये विधेयक नहीं हमारी दर्म का कला चिटठा है जो कांग्रेस की सरकार ने आज़म खान जी जैसे सांप्रदायिक हिंसक लोगो के ह्हाथ में दे दिया गया है की जब भी कोई हिन्दू अपनी माँ बहिन की इज्ज़त बचने जाये तो उसे मार दिया जाये.

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