सखि,बसन्त आ गया । धरती पर छा गया ।। ख़ुशियाँ बरसा गया । सबके मन भा गया ।। सरसों से खेत सजे। सबका मन मोह रहे।। आमों में बौर लदे । कुहू कुहू भली लगे ।। बाग़ों में फूल खिले । भौंरे हैं झूम चले ।। मन्द मन्द पवन चली । मन की कली है खिली।। शिशिर शीत भाग गया। सुखद समय आ गया ।। चहुँदिशि है छा गया सौरभ सरसा गया ।। सखि, बसन्त आ गया । सुषमा बिखरा गया ।। ********** – शकुन्तला बहादुर
बहुत सुन्दर. आप के यहाँ बसन्त आ गया. हमारे यहाँ सच में बाहर हिमपात हो रहा है. पर आज पिघलनेवाला हिमपात है. साथ आपकी सुन्दर कविता पढकर प्रफुल्लित हूँ. धन्यवाद.
बहुत सुन्दर. आप के यहाँ बसन्त आ गया. हमारे यहाँ सच में बाहर हिमपात हो रहा है. पर आज पिघलनेवाला हिमपात है. साथ आपकी सुन्दर कविता पढकर प्रफुल्लित हूँ.
धन्यवाद.