रोहिंग्‍या मुसलमानों पर संघ दृष्‍ट‍ि

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ आज भारत का ही नहीं विश्‍व का सबसे बड़ा जनसंगठन है, प्रतिवर्ष दशहरे के दिन इसके प्रमुख कार्यालय नागपुर महाराष्‍ट्र से जो पाथेय इस संगठन के प्रमुख सर संघचालक के द्वारा अपने स्‍वयंसेवकों को दिया जाता है, उस पर वर्षभर और आगे भी निरंतर चलने रहना स्‍वयंसेवक अपने लिए प्रेरणा ओर आदर्श मानते हैं। इस बार नागपुर में विजयादशमी के दिन शस्‍त्र पूजन के बाद जैसी परंपरा है, सरसंघचालकजी का उद्बोधन हुआ, जिसमें अन्‍य कई विषयों के साथ देश में आए रोहिंग्या मुसलमानों का भी विषय निकला। इस विषय की गंभीरता इतनी अधिक है कि देश के प्रत्‍येक नागरिक को इसके समस्‍त पक्षों को मीमांसक बुद्ध‍ि से तर्कसंज्ञक समीक्षा करना अत्‍याधिक आवश्‍यक हो गया है। हम केवल रोहिंग्‍याओं को शरणार्थी की दृष्टि से देखने की भूल न करें,वरन उसके अन्‍य जो पक्ष हैं, उन पर भी गंभीरतापूर्वक विचार करें।

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत ने यह प्रश्‍न खड़ा किया है कि म्यांमार से रोहिंग्या आ क्यों गए, कैसे वे भारत में प्रवेश कर जा रहे हैं ? उनकी अलगाववादी, हिंसक गतिविधियां आज किसी से छिपी नहीं हैं। वस्‍तुत: उनकी वर्तमान स्‍थ‍ितियों के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। रोंहिग्या अपनी अलगाववादी हिंसक, आपराधिक गतिविधियों और आतंकियों से साठगांठ के कारण म्यांमार से खदेड़े जा रहे हैं। इस संबंध में जो मत भारत सरकार का है, वही मत संघ का भी है, हम यह मानते हैं कि रोंहिग्या सब प्रकार से देश के लिए संकट बनेंगे। इन लोगों को अगर आश्रय दिया गया तो वे सुरक्षा के लिए चुनौती बनेंगे।

सरसंघचालक यह प्रश्‍न भी उठाते हैं कि इस देश से उनका नाता क्या है? मानवता की याद दिला कर रोंहिग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे लोगों के लिए उनका स्पष्ट संदेश है कि मानवता तो ठीक है, लेकिन इसके अधीन होकर कोई खुद को समाप्त नहीं कर सकता। वे कहते हैं कि प्रशासन और समाज के समन्वयित प्रयास से राष्ट्र के शत्रुओं से लड़ाई जारी रखते हुए सामान्य जनता को भारत की अत्मीयता का अनुभव कराना चाहिए, इसलिए सीमावर्ती प्रदेशों की सज्जनशक्ति से उन्होंने निर्भयतापूर्वक आगे आने का आह्वान किया है। हमें आज यह समझना होगा कि संघ ने रोहिंग्‍याओं को लेकर इस प्रकार की अपनी प्रतिक्रिया क्‍यों दी है? जो लोग देश में शरणार्थी के नाम पर रोहिंग्‍या मुसलमानों का पक्ष ले रहे हैं, उन्‍हें यह अवश्‍य जानना चाहिए कि कई रोहिंग्‍याओं के संपर्क आतंकवादियों के साथ पाए गए हैं। केंद्रिय जांच एजेंसियों के इस निष्‍कर्ष को मानवता के नाम पर कैसे नकारा जा सकता है? यही कारण है कि केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में संवैधानिक अधिकार देने से मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार हलफनामा दाखिल कर बता चुकी है कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से कनेक्शन है, उन्हें किसी भी कीमत पर भारत में रहने की इजाजत नहीं देनी चाहिए, वो हमारे देश के लिए खतरा हो सकते हैं। इतना ही नहीं तो गृह मंत्रालय के दायर हलफनामे में सरकार ने संविधान के अनुच्‍छेद तक का जिक्र किया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में स्पष्ट है कि भारत की सीमा के किसी भी हिस्से में रहने, बसने और देश में स्वतंत्र रूप से कहीं भी आने जाने का अधिकार सिर्फ भारत के नागरिकों को ही उपलब्ध है, अत: कोई भी गैरकानूनी शरणार्थी इस कोर्ट से ऐसा आदेश देने के लिए अनुरोध नहीं कर सकता है, जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सामान्य रूप में मौलिक अधिकार देता हो। रोहिंग्या पर केंद्र सरकार ने आगे यह भी कहा है कि वह इस मामले में सुरक्षा खतरों और सुरक्षा एजेंसियो से इकट्ठी की गई जानकारी को सीलबंद लिफाफे में पेश कर सकती है।

अभी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने घेराबंदी कर समीउन रहमान उर्फ हमदन उर्फ शुमोन हक उर्फ राजू भाई को पकड़ा है जो एक आतंकवादी है और वह यहां से ही म्यांमार सेना से लड़ने के लिए रोहिंग्या मुसलमानों को तैयार कर रहा था। इसके लिए वह भारत के मणिपुर व मिजोरम में सशक्‍त बेस तैयार करना चहाता था। भारत में वह कई लोगों के संपर्क में था। इनमें जम्मू कश्मीर,दक्षिण भारत व मणिपुर के लोग शामिल हैं। अल कायदा का संदिग्ध आतंकी ब्रिटिश नागरिक है तथा मूलरूप से बांग्लादेश का ये आतंकी अल कायदा की ओर से सीरियाई सेना के खिलाफ भी लड़ चुका है।

इस बीच जो लोग रोहिंग्‍या मुसलमानों पर दुख जता रहे हैं और भारत सरकार का विरोध यह कहकर कर रहे हैं कि यह सरकार तो भाजपा और आरएसएस की सरकार है, इसलिए इस तरह की बात कर रही है तो वे यह जानें कि बांग्‍लादेश में तो आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं, वहां इन रोहिंग्‍याओं के बारे में स्‍वयं सरकार क्‍या सोचती है? वस्‍तुत: बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद अली ने म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों को सीमावर्ती इलाकों में ड्रग, हथियार और मानव तस्करी जैसी अपराधों में लिप्त बताया है। वहीं इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार अक्टूबर में म्यांमार में एक बड़े हमले को अंजाम देने वाले रोहिंग्या मुसलानों के तार पाकिस्तान और सऊदी अरब से जुड़े हैं। म्यांमार के सुरक्षा बलों पर किए गए इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। बाद में हमले की जिम्मेदारी हाराका अल याकीन नाम के एक गुट ने ली, जो 2012 में रखाइन में हुई व्यापक साप्रदायिक हिंसा के बाद बना था। ब्रसेल्स स्थित इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) ने इस गुट के कई सदस्यों से बातचीत के आधार पर कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत कई देशों में लड़ चुके रोहिंग्या लड़ाके गुपचुप तरीके से दो साल से रखाइन प्रांत के गावों में लोगों को ट्रेनिंग दे रहे थे । उन्होंने हथियार चलाने, बम विस्‍फोट और गुरिल्ला युद्ध के तौर तरीकों की ट्रेनिंग दी गई।

रोहिंग्या मुसलमानों के साथ एक समस्‍या यह भी है कि वे अपने को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं। यहां वंशज बताना एवं मानना बुरा नहीं है, किंतु बुरा कुछ है तो उस अहम को पाल लेना, जिसके चलते यह बौद्ध जैसे अहिंसक लोगों के साथ भी म्‍यांमार में शांति से नहीं रह पा रहे हैं। 25 अगस्त को 30 पुलिस चौकियों पर हमले के बाद प्रतिक्रिया स्‍वरूप जो म्‍यांमार की सेना ने इनके साथ व्‍यवहार किया उसके बाद यह पलायन के लिए मजबूर हुए, किंतु प्रश्‍न यही है कि आखिर यह नौबत आई ही क्‍यों, क्‍यों नहीं वे म्‍यांमार के बहुसंख्‍यक बौद्धों के साथ प्रेम एवं करुणा को धारण करते हुए साथ नहीं रह सकते हैं। यहां कहना इतना ही है कि इनकी करतूतें ऐसी हैं कि सुनकर भी भय लगने लगता है। म्यांमार की सेना ने कहा है कि रखाइन में रोहिंग्या मुसलमानों ने 45 हिंदुओं की हत्या कर दी है। सेना को पिछले माह हिंसा प्रभावित राखिन प्रांत में 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिली, जिनमें 20 महिलाओं और आठ पुरुषों के शव थे इनमें भी छह लड़कों की उम्र दस साल से भी कम थी। राखिन राज्य में अराकन रोहिंग्या सेलवेशन आर्मी (एआरएसए) द्वारा इनकी हत्या की गयी।  एक महीने के भीतर ही इस क्षेत्र से 30 हजार से अधिक हिंदू और बौद्ध विस्थापित किए गए, जिनमें अधिकांश ने एक ही बात कही कि उन्‍हें रोहिंग्याओं ने  डराया धमकाया और बुरी तरह पीटा। यहां निवासरत रहे हिंदुओं का कहना था कि आतंकवादी 25 अगस्त को उनके गांवों में घुस आए और बीच में आने वाले कई लोगों की हत्या कर दी और कुछ अन्य को अपने साथ जंगल ले गए।

वस्‍तुत: रोहिंग्या मुसलमान देखाजाए तो जिस तरह से अपने को दुनिया के सामने असहाय बता रहे हैं तो दूसरी ओर अपनी बर्बरता को अभी भी छोड़ने को तैयार नहीं। बांग्लादेश में शरणार्थी कैंपों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान अब रोहिंग्या हिंदू महिलाओं को अपना निशाना बना रहे हैं और उनका जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। इन राहत कैंपों में हिंदुओं को दिन में पांच बार नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यहां रोहिंग्या हिंदू महिलाओं के सिंदूर मिटा रहे हैं और चूड़ियां तक तोड़ रहे हैं। इसे लेकर अवश्‍य ही कोई पूछ सकता है कि इस बात के साक्ष्‍य क्‍या हैं जो इस तरह की बात रोहिंग्‍या मुसलमानों के विरोध में कही जा रही है।  उनके लिए इतनी जानकारी अवश्‍य है कि पिछले माह में पूजा से रबिया बनी रोहिंग्या हिंदू महिला जो शरणार्थी शिविर का हिस्‍सा है ने बताया कि किस तरह से बांग्लादेश राहत कैंपों में रोहिंग्या मुस्लिमों की ओर से हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। रबिया अपनी आपबीती में कहती है, वह रोहिंग्या हिंदू है और शरण की उम्मीद में म्यांमार से पलायन करके यहां आई थी, यहां उसके हालात और बुरे हो गए। म्यांमार में उसके सामने ही आतंकवादियों ने पति समेत पूरे परिवार की गोली मारकर हत्या कर दी और उनको बंधक बना लिया गया। ये आतंकी उनको धर्म के नाम पर गालियां दे रहे थे । उसके बाद रोहिंग्या मुसलमान उसे जंगल ले गए और कहा कि नमाज पढ़नी पड़ेगी, उन्होंने मेरा सिंदूर मिटा दिया और हिंदू धर्म की पहचान वाली चूड़ियां तोड़ दी। कहा गया, यदि जिंदा रहना चाहती हो तो धर्म परिवर्तन करो, बुर्का पहनाया गया और करीब तीन सप्ताह तक इस्लामिक रीति रिवाज सिखाए गए, जबकि मेरा दिल भगवान के लिए धड़कता है। वास्‍तव में बांग्‍लादेश में यह एक हिन्‍दू से मुस्‍लिम बनी रबिया रोहिंग्‍या नहीं है। ऐसी अनेक महिलाएं ओर हैं, जिनको रोहिंग्या मुसलमान अपना शिकार बना रहे हैं।

आज भारत में बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के बाद सबसे ज्‍यादा यदि कोई अवैध घुसपैठ करने में सफल रहे हैं तो यह रोहिंग्‍या मुसलमान हैं। बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को लेकर अनुमान यहां तक है कि इनकी संख्‍या 2 से 3 करोड़ के बीच है। ये सभी आज भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में दीमक का कार्य कर रहे हैं। हमारे भारतीय नागरिकों के रोजगार और आवश्‍यक संसाधन छीन रहे हैं, यही काम अब रोहिंग्‍या मुसलमान आनेवाले दिनों में व्‍यापक स्‍तर पर करनेवाले हैं। वर्तमान में भारत में इनकी संख्‍या करीब 60 हज़ार से एक लाख के बीच होना बताया जा रहा है लेकिन इनके एक लाख से 10 लाख और 10 से एक करोड़ होने में देर नहीं लगेगी, जैसा कि बांग्‍लादेशी घुसपैठियों ने भारत में अपनी जनसंख्‍या विस्‍तार करने के मामले में किया है।

अंत में यही कि जिन लोगों पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक हो, उन्हें शरणार्थी बनाना देशहित में नहीं है । अभी बहुत से रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से एजेंट के ज़रिये भारत में दाखिल हो रहे हैं, वहीं ये शरणार्थी अवैध रूप से पश्चिम बंगाल के बेनापोल-हरिदासपुर, हिल्ली, कोलकाता और त्रिपुरा के सोनामोरा इलाकों के ज़रिये भारत में दाखिल हो रहे हैं। इनके कारण से आज देश के सामने सुरक्षा का बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। सरकार को बहुत से रोहिंग्याओं का हवाला के ज़रिये पैसा इधर-उधर करने, भारतीय पहचान पत्रों की जालसाज़ी करने और मानव तस्करी में भी शामिल होने का अब तक पता चला है। सरकार का दावा है कि इनमें से बहुत से लोगों ने जालसाज़ी करके पेन कार्ड और वोटर कार्ड तक बनवा लिए हैं।  आतंकवादी पृष्ठभूमि वाले रोहिंग्या आज देश में सबसे ज्‍यादा जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय हैं।

वस्‍तुत: आज केंद्र सरकार जो कह रही है‍ कि भारत की जनसंख्या बहुत बड़ी है, यहां ज़रूरत से ज्यादा मज़दूर हैं और देश का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक ढांचा बहुत जटिल है, इसीलिए यदि इन अवैध शरणार्थियों को सुविधाएं और विशेषाधिकार दिए गए, तो इससे भारत के नागरिकों का हक़ मारा जाएगा।  आगे इससे  भारत के असली नागरिक रोज़गार, सस्ते घर, चिकित्सा और शिक्षा की सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। वस्‍तुत: सरकार की यह चिंता अपने सभी भारतीय नागरिकों के हक में वास्‍तविक हैं। अत: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ जो आज सरकार के अलावा इन रोहिंग्‍या मुसलमानों को लेकर जो कह रहा है, उसे सभी भारतीयों को बहुत व्‍यवहारिक स्‍तर पर समझना चाहिए, न कि मानवीयता की दुहाई देकर सिर्फ भावना के स्‍तर पर ही ।

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