भारतीय सेना को सलाम

armydayडा. राधेश्याम द्विवेदी
भारत की संयुक्त सशस्त्र सेना:-
थल सेना, नौसेना, तटरक्षक और वायु सेना सहित है जो विश्व की विशालतम सेनाओं में से एक है। भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है कि भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए एवं स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें। भारत की संयुक्त सशस्त्र सेना के तीन प्रमुख सुरक्षा बल : भारतीय थलसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना हैं।
वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियंत्रण अंग्रेज़ों के हाथों में था। उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय, बलदेव सिंह, देश के रक्षा मंत्री बने, हालांकि कमांडर-इन-चीफ एक अंग्रेज़ ही रहा। 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंट मिलीं, जिनमें 2.5 लाख सैनिक थे। शेष रेजीमेंट पाकिस्तानचली गयीं। गोरखा फ़ौज़ की 6 रेजीमेंट (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं। शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये। ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी सामरसैट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी, और भारतीय भूमि से28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई। कुछ अंग्रेज़ अफ़सर परामर्शक के रूप में कुछ समय तक भारत में रहे लेकिन स्वतंत्रता के पहले क्षण से ही भारतीय सेना पूर्णत: भारतीयों के हाथों में आ गयी थी। स्वतंत्रता के तुरंत पश्चात भारत सरकार ने भारतीय सेना के ढांचे में कतिपय परिवर्तन किये। थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना अपने-अपने मुख्य सेनाध्यक्षों के अधीन आयी। भारतीय रियासतों की सेना को भी देश की सैन्य व्यवस्था में शामिल कर लिया गया। 26 जनवरी, 1950 को देश के गणतंत्र बनने पर भारतीय सेनाओं की संरचनाओं में आवश्यक परिवर्तन किये गये। भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भारत का राष्ट्रपति है, किन्तु देश रक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मंत्रिमंडल की है। रक्षा से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण मामलों का फ़ैसला राजनीतिक कार्यों से संबंधी मंत्रिमंडल समिति करती है, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। रक्षा मंत्री सेवाओं से संबंधित सभी विषयों के बारे में संसदके समक्ष उत्तरदायी है।
परम्परा व इतिहास:- सेना की लंबी परम्परा व इतिहास है। आरंभ में यह केवल थलसेना ही थी। कहा जाता है कि भारत में सेनाओं का नियोजन चौथी शताब्दी ई.पू. से ही प्रचलन में था। मुख्य संघटन पैदल सेना, रथ और हाथी थे। यद्यपि भारत का एक लंबा नौ-इतिहास है, लेकिन भारतीय जलक्षेत्र में पुर्तग़ालियों के आगमन के बाद ही नौसेना विकसित हुई। वायुसेना का गठन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान और 1913 में उत्तर प्रदेश में एक सैनिक उड्डयन स्कूल की स्थापना के साथ हुआ। भारतीय सेना का सर्वोच्च नियंत्रण भारत के राष्ट्रपति के पास है। रक्षा मंत्रालय देश की रक्षा से संबंधित सभी मामलों में नीतियाँ बनाने व उन्हें लागू करने के लिए उत्तरदायी है। मंत्रालय का प्राथमिक कार्य सशस्त्र सेनाओं का प्रशासन है। यहाँ संघीय (केंद्रीय) मंत्रिमंडल राष्ट्र की रक्षा के लिए संयुक्त रूप से उत्तरदायी है, वहीं रक्षा मंत्री मंत्रिमंडल की ओर से उत्तरदायित्वों का निर्वहन करता है। प्रत्येक सेना का अपना सेना प्रमुख होता है और तीनों प्रमुख रक्षा की विस्तृत योजना बनाने, तैयारी करने और क्रमशः अपनी सेना के संचालन व प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते हैं। नागरिक स्वेच्छा से सेनाओं में शामिल होते हैं और सुप्रशिक्षित, दक्ष पेशेवर अफ़सरों के दल द्वारा इनका नेतृत्व किया जाता है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं में घरेलू राजनीति से दूर रहने की परंपरा रही है और ये विश्व भर में शांति सेना के रूप में भी असाधारण रही हैं।
भारतीय थल सेना :- सेना को अधिकतर थल सेना ही समझा जाता है, यह ठीक भी है क्योंकि रक्षा-पक्ति में थल सेना का ही प्रथम तथा प्रधान स्थान है। इस समय लगभग 13 लाख सैनिक-असैनिक थल सेना में भिन्न-भिन्न पदों पर कार्यरत हैं, जबकि 1948 में सेना में लगभग 2,00,000 सैनिक थे। थल सेना का मुख्यालय नई दिल्ली में है। भारतीय थल सेना के प्रशासनिक एवं सामरिक कार्य संचालन का नियंत्रण थल सेनाध्यक्ष करता है। थल सेनाध्यक्ष की सहायता के लिए थलसेना के वाइस चीफ, तथा चीफ स्टाफ अफ़सर होते हैं। इनमें डिप्टी चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ, एडजुटेंट-जनरल, क्वार्टर मास्टर-जनरल, मास्टर-जनरल ऑफ़ आर्डनेन्स और सेना सचिव तथा इंजीनियर-इन-चीफ सम्मिलित हैं। थल सेना 6 कमानों में संगठित है-
1. पश्चिमी कमान (मुख्यालय: शिमला)
2. पूर्वी कमान (कोलकाता)
3. उत्तरी कमान (ऊधमपुर)
4. दक्षिणी कमान (पुणे)
5. मध्य कमान (लखनऊ)
6. दक्षिणी-पश्चिमी कमान (जयपुर):- दक्षिण-पश्चिम कमान का गठन 15 अप्रैल, 2005 को किया गया। इसका मुख्यालय जयपुर में स्थापित किया गया है। यह थल सेना की सबसे बड़ी कमान है।
भारत के पास 13,25,000 सैनिक जवान और अधिकारी हैं I यदि इसमें रिजर्व और पैरामिलिट्री फोर्सेज को जोड़ दिया जाए, तो यह संख्या 47,68,407 होगी। देश की सेना में 30 रेजिमेंट और 63 सशस्त्र रेजिमेंट्स हैं जो 7 ऑपरेशनल कमांड्स और तीन प्रकार की सेनाओं में 37 डिवीजंस में फैली है। भारतीय सेना की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सेना के पास 2414 टी-72 युद्धक टैंक, 807 टी-90 टैंक, 248 अर्जुन एमके-2 टैंक हैं। इसके अलावा 550 टी-55 टैंक भी हैं। 807 पिनाका और 150 से ज्यादा बीएम-21 बहुउपयोगी रॉकेट लांचर्स हैं। एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स में भारत के पास 443 नाग, 30000 मिलन, 4100 मिलन 2टी और 15000 9एम113 कोंक्रूज मिसाइल्स हैं। इतना ही नहीं कोरेंट, फगोट, शत्रुम, अताका-वी, मल्युक्त और फालंका जैसी हजारों एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स हैं। पृथ्वी, सूर्या, अग्नि ब्रह्मोस बैलेस्टि मिसाइल्स की पूरी रेंज है।
आज पाकिस्तान ने जिस तरह आतंकी संगठन हिजबुल के मारे गए कमांडर बुरहान वानी और अन्य आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी बताया है, उससे दुनिया के सामने पाक का चेहरा बेनकाब हो गया है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक और जमात-उद-दावा संगठन का प्रमुख हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है। अमेरिका ने सईद को आतंकी घोषित कर उसके सिर पर एक करोड़ डॉलर (करीब 67 करोड़ रुपये) का इनाम रखा है। उसके इस प्रकार बिना खौफ घूमने से भी यह साबित होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दुनिया के सामने सिर्फ दिखावा करता है।
अगर पाकिस्तान उस आतंकी बुरहान के लिये 19 जुलाई को काला दिन मना रहा है,तो हिन्दुस्तान में 19 जुलाई को “दीपावली” मनाई जानी चाहिये। सभी मित्रों से अनुरोध है कि भारतीय थल सेना को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें। बुरहान की मोत पर पाकिस्तान 19 July को Black Day मना रहा है. आइये हम सब मिल कर दिखा दे के हम सब इंडियन आर्मी के साथ खड़े हे, और उस दिन सोशियल मिडिया पर हमारी आर्मी को सलाम करे.
आइये हम भी मिल कर उसी दिन पर “Salute To Indian Army Day” मनाए.
जय हिन्द,JAI HIND , JAI BHARAT

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