सतत विकास के लिये नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा  : प्रकाश जावेडकर

भारत को अच्छे शिक्षक, विद्यार्थी और प्रयोगशालाएँ मिलेंगी

नई दिल्ली  केन्द्रीय मानव विकास संसाधन प्रकाश जावेडकर ने कहा कि सतत खुशहाली केवल नवाचार से ही आ सकती है i देश के प्रतिभाशाली युवा इसको बढ़ावा दे सकें इसके लिये सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे अच्छी शोध प्रयोगशालाएँ स्थापित करने का निर्णय लिया है | उन्होंने ये विचार आज नेहरु मेमोरियल लाइब्रेरी और रिसपेक्ट इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किये.  व्याख्यान का विषय था “सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’

श्री जावड़ेकर ने कहा कि सतत विकास के लिए उच्च शिक्षा में अनुसंधान आवश्यक है i इसको बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया | उन्होंने कहा कि ‘प्रतिभा पलायन’ की समस्या के समाधान हेतु अनुसंधानों और नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना जरुरी है | उनके अनुसार, भारत और चीन ने अभियांत्रिकी के कारण पिछले 30 वर्षों में प्रगति हासिल की है तथा कम पारिश्रमिक के कारण ये दोनों देश मूल्य प्रतिस्पर्धी भी बन गए हैं| परंतु यह खुशहाली सतत अथवा धारणीय नहीं है| सतत खुशहाली केवल नवाचार से ही आ सकती है |

मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे अच्छी शोध प्रयोगशालाएँ स्थापित करने का निर्णय लिया है| आई.आई.टी (IITs) भी संयुक्त रूप से विदेशों में रह रहे भारतीय विद्यार्थियों का साक्षात्कार लेंगे ताकि वे उनकी नियुक्ति अपने संस्थानों में  अध्यापकों के तौर पर कर सकें | इन विद्यार्थियों को अनुसंधान और परामर्श की स्वतंत्रता होगी |

इस प्रकार भारत को अच्छे शिक्षक, विद्यार्थी और प्रयोगशालाएँ प्राप्त होंगी| सरकार की ओर से प्रतिमाह उन्हें 75,000 रूपये की प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति दी जाएगी | मानव संसाधन मंत्री ने विद्यालयों के माध्यम से भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा उन शिविरों की और संकेत किया जिन्हें इस माह पाँच स्थानों रायपुर, बेंगलुरु,चंडीगढ़, गुवाहाटी और पुणे में स्थापित किया जाएगा| उनके अनुसार, बच्चों को अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने से अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे| सरकार को इसके लिये अथक प्रयास करना चाहिये | सरकार यह योजना बना रही है कि वह शिक्षा अधिनियम में सुधार कर राज्यों को ही कक्षा पाँच और आठ में विद्यार्थी के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर उन्हें उत्तीर्ण अथवा अनुत्तीर्ण करने का निर्णय लेने का अधिकार प्रदान करे |

वर्तमान में मौजूद अनुत्तीर्ण न करने की नीति के तहत कक्षा आठ में जाने तक विद्यार्थियों को अनुतीर्ण नहीं किया जाता है| मानव संसाधन विकास मंत्री के अनुसार, यदि कोई विद्यार्थी मार्च में वार्षिक परीक्षा देता है और वह अनुत्तीर्ण हो जाता है तो प्रस्तावित संशोधन के अंतर्गत उसे उस परीक्षा को उत्तीर्ण करने का एक अन्य मौका जून में दिया जाएगा| परन्तु राज्यों के पास इन विद्यार्थियों को उत्तीर्ण करने के लिये अन्य अवसर देने का भी अधिकार होगा|

एनसीपी से राज्यसभा सांसद डी.पी.त्रिपाठी  अपने वक्तव्य में कहा की दिनकर एक कालजयी कवि ही  नहीं, आजादी के बाद सभ्यता और संस्कृतिमूलक विमर्श के प्रस्तावक रहे है, अध्यक्षीय भाषण में सिक्किम के भूतपूर्व राज्यपाल श्री वी.पी.सिंह ने कहा कि दिनकर सामाजिक कर्तव्यों को अपने लेखन से ऊपर रखा ,इस अर्थ में भी वे प्रासांगिक हैं ! कार्यक्रम  मे अन्य विशिष्ट अथितियो में श्री शक्ति सिन्हा (निदेशक, नेहरु मेमोरियल लाइब्रेरी) ,श्री नरेन्द्र कुमार वर्मा ( एम. डी.,ओ.एन.जी.सी.,विदेश) डॉ कविता राजन एवं श्री निर्मल गहलोत ने अपने विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन रेस्पेक्ट इंडिया के अध्यक्ष डॉ मनीष के चौधरी ने दिया .

‘रिसपेक्ट इंडिया’

दिल्ली

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