संतोष भारतीय को आफ़ताब-ए-सहाफ़त अवार्ड

आल इंडिया तंज़ीम उलेमा-ए-हक़ द्वारा आयोजित आतंकवाद और सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय एकता अधिवेशन का आयोजन नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया, जिसमें उर्दू के पहले अंतरराष्ट्रीय साप्ताहिक चौथी दुनिया अख़बार के प्रधान संपादक संतोष भारतीय को उर्दू पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए आफ़ताब-ए-सहाफ़त अवार्ड से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडीज़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय एकता देश की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात में सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ हम सबको राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए.

अधिवेशन में चौथी दुनिया के प्रधान संपादक संतोष भारतीय ने कहा कि वह उर्दू न जानते हुए भी उर्दू की लड़ाई लड़ना चाहते हैं, क्योंकि उर्दू गंगा-जमुनी तहज़ीब की ज़ुबान है, उर्दू ने देश को आज़ादी दिलाई, उर्दू ने ख्वाब को ताबीर दी, उर्दू ने देश को एक लड़ी में पिरो दिया और उर्दू ने राष्ट्रीय एकता का विकास किया. उन्होंने वहां मौजूद तमाम लोगों से कहा कि हम सबको मिलजुल कर राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए काम करना चाहिए.

इस अवसर पर त्रैमासिक हुस्न-ए-तदबीर के विशेष अंक मदारिस नंबर और मासिक नारा-ए-तकबीर के ईरान के हवाले से विशेष अंक का विमोचन भी हुआ. राष्ट्रीय एकता अधिवेशन में विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन सेवाएं प्रदान करने वाले अहम लोगों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉक्टर मेराजुद्दीन, जमीअतुल कुरैश दिल्ली के अध्यक्ष साजिद अतीक़, मौलाना रोशन आलम मज़ाहिरी, मीर हसन अल्वी, इश्तियाक़ हुसैन रफ़ीक़ी, ख़ालिद अनवर, मौलाना अल्ताफ़ हुसैन मज़ाहिरी, डॉ. काशिफ़ ज़काई, क़ारी शम्सुद्दीन,मोहम्मद अज़ीज़ बक़ाई, मोहम्मद रियाज़ुद्दीन, मौलाना मुईनुल हक क़ासमी, डॉक्टर ताजुद्दीन अंसारी और मोहम्मद शारिक़ उर्फ़ आशू ख़ां आदि के नाम उल्लेखनीय हैं. अधिवेशन का संचालन मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम क़ासमी ने किया, जबकि उद्घाटन क़ारी अबुल हसन आज़मी की तिलावते=कुरआन-ए-पाक से हुआ.

3 COMMENTS

  1. santosh ji ko sammanit karane waalon ko sri Tanwir Jafari jaise deshbhakt kyon nazar nahi aate ? spasht hai ki ye kuch khaas tarah ke log hain jo kuch khaas tarah kaa kaam bade suniyojit dhang se kar rahe hain. inaki kathani aur karani ki dishaa thik se dekhani- samajhani chaahiye.

  2. baba raamdew ji ko hatyaaraa batlane walon ko hi to bhaarat mein sammanit karane walon ka sattaa par kabjaa hai. in patrkaaron ki lekhni kabhi bhi desh ke dushmanon aur ameriki ajenton ke wirudh nahi uthti. maafiyaa ke khilaaf, bhaarat mein arbon rupyon ki lut karane waalon ke wirudh bhi ye kuchh nahi bolate. bhaarat ko jagaane walon ke wirudh wish waman khub karate hain. aise ye patrkaar aur waise hi inhen sammanit karane waale . atah in mahan wibhjutiyon ki pahchan har deshbhakt ko honi chaahiye taki inke jaal mein fansane se ham bache rah saken.

  3. संतोष सर को जो आफ़ताब-ए- सहाफत का जो अवार्ड मिला है वो सच में ही इसके हक़दार थे.वह एक ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने पत्रकारिता को नई पहचान दी है, पत्रकारिता में नई जान दी है और उसके आदर्शों को फिर से जीवित किया.रहा उर्दू का सवाल तो उर्दू पर उन्होंने सराहनीय काम किया है और भी ज्यादा इस बारे में काम करने की ज़रूरत है.संतोष जी को इस अवार्ड के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद और उनके कामों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.

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