कौम आबाद; देश बर्बाद!

-डॉ. प्रवीण तोगड़िया

सौ करोड़ की आबादी वाले देश का एक छोटा सा राज्य है कश्मीर, जिसकी आबादी केवल 40 लाख है। वह भी अगर किसी सरकार से नहीं सम्हला जाता हो तो उसके केवल दो ही कारण हो सकते हैं- पहला उस देश के शासक अयोग्य हैं या दूसरा देश के शासक महाचालाक हैं और देश के उस हिस्से में जान बूझकर हंगामा चालू रहने देते हैं क्योंकि उस हिस्से में लगातार 63 वर्षों से देशद्रोही गतिविधियाँ करने वालों का मजहब और शासकों का मजहब एक ही है। इस कारण शासक कश्मीर में – जहाँ केवल 40 लाख की आबादी है, समूचे भारत को बर्बाद करने पर अमादा हैं। भारत के शासकों ने भी 1947 से लेकर आज तक कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया, जिससे कश्मीर के देशद्रोहियों को सजा मिले।

सबसे संतापजनक यह है कि इन्हीं शासकों ने उसी राज्य के दूसरे हिस्से में, केवल आंदोलन की घोषणा हुई और सेना की 15 बटालियनें भेज दी थी और धमकाया था कि जो घर से बाहर निकलेगा वह मारा जाएगा। अमरनाथ आन्दोलन 2008 की यह बात है जब अपने हक के लिए शांतिपूर्ण रीति से केवल अपने भारत के झंडे हाथ में लेकर खड़े बच्चों और महिलाओं पर पुलिस ने बर्बरता की थी, जो मरे उन हिन्दुओं के शव तक उनके परिवारों को देने से मना कर उन्हें पेट्रोल से जंगलों में जलाया गया। कई हिन्दुओं ने धर्म के इस अपमान के कारण विष लेकर अपना जीवन समाप्त किया था।

बात बहुत सीधी है। जो शासन हिन्दुओं को दबाने के लिए, खत्म करने के लिए इतने कड़े कदम उठा सकती है वही शासन उसी राज्य के कश्मीर में जान बूझकर अनदेखी कर रही है। जिनको सरकार ने नजरबंद कर रखा हो ऐसा मीर वाईज घर से आराम से निकल कर रास्ते पर आकर, गाड़ी पर चढ़कर सबके सामने आंदोलन करता है और सरकार उसे गिरफ्तार नहीं करती है। भारत को बार-बार गालियाँ देकर पाकिस्तान की दुहाई देकर कश्मीर में पाकिस्तान के झंडे फहराने वाला यासीन मलिक पाकिस्तान जाकर कविता कहता है और हमारे कुछ मीडिया वाले उस कविता को जोर शोर से दिखाते भी हैं- ‘यह धरती धड़ धड़ दहलेगी, सरकार पर बिजली कड़केगी, ना ताज रहेगा, ना सरताज रहेगा, सिर्फ नाम रहेगा अल्लाह का।’ वही यासीन मलिक उसके बाद भारत में सम्मान से आकर रहता है। 2 वर्ष बाद मुम्बई में ताज पर जिहादी हमला होता है। इन सबको सरकार गिरफ्तार नहीं करती है। यह केवल संयोग नहीं, यह जान बूझकर देश से किया हुआ धोखा है, जिसे कानूनी जानकार देशद्रोह कहते हैं।

बच्चों और महिलाओं को आगे कर, उनको पत्थरबाजी, छाती पीटने और रोने-धोने का प्रशिक्षण देकर कश्मीर में आंदोलन जिहाद (प्रोटेस्ट जिहाद) कई वर्षों से किया जा रहा है। फिलिस्तीन में इसी तरह लगातार कई वर्षों से पत्थरमारी चली आ रही है और इसे चलाने वाले एक कौम के लोग पैसे देकर यह काम करवाते रहे हैं।

भारत सरकार और हमारी खुफिया एजेसिंयाँ इस बात से परिचित हैं। फिर भी यह भारत के सर के हिस्से पर चलने दिया जा रहा है। मतों के लिए देश के साथ इतना बड़ा ‘खेल’ किसी ने किसी दूसरे देश में नहीं खेली होगी। कश्मीर ही नहीं, असम में भी यही सिलसिला चल रहा है। असम के जिहादी हमलों में बंग्लादेश से आए घुसपैठियों के हाथ होने से साक्ष्य होने के बावजूद सरकारें मतों के लिए घुसपैठियों को देश की नागरिकता देने निकली हैं।

मुद्दा यह नहीं है कि कौन सी सरकार ऐसे देशद्रोहियों को ठिकाने लगाये- केन्द्र या राज्य। आम आदमी को इनसे कोई लेना देना नहीं है। भारत के विरुद्ध जिहादी गतिविधियाँ चलाकर हमारी सेना, पुलिस और सी.आर.पी.एफ पर झूठे आरोप लगाकर, गलत पद्धति से जवानों को जेल भिजवाकर, मानवाधिकारों का गलत उपयोग कर और मीडिया में बैठे अपने लोगों से एकांगी रिपोर्टिंग कराकर जिहादी देश को नीलाम करने में लगे हैं।

खालिस्तान आंदोलन को कड़ाई से कुचलने वाली सरकारें कश्मीर में चल रही पाकिस्तान प्रेमी जिहादी गतिविधियों, असम में जारी घुसपैठ और आधे देश में फैले चीन प्रेमी माओवादी हमलों को रोक नहीं सकती हैं यह कोई मान नहीं सकता। 63 वर्षों में ये सारे देशद्रोही इतने प्रबल होकर आज दुनिया को उनकी तरफ से बुलवा रहे हैं, इसका एक ही कारण है- भारत के शासक ही चाहते हैं कि यह एक कौम आबाद हो और बाकी सारा भारत बर्बाद हो।

भारत के सनातनियों, जैनों, सिखों, बौद्धों और वनवासियों को अगर आने वाली पीढ़ियों के लिए सम्पन्न सांस्कृतिक भारत देना हो तो सबको एक होकर लोकतांत्रिक पद्धति से ऐसी जिहादी ताकतों के विरुद्ध खड़ा रहना होगा, क्योंकि भारत की सरकारें तो केवल सनातनी, सिख, जैन, बौद्ध और वनवासियों पर किसी तरह झूठे आरोप लगाकर उनको जेल भेजकर या उन्हें फाँसी के फंदे पर लटकाने पर ही तुली हुई हैं। इसीलिए, एक कौम आबाद और शेष भारत बर्बाद ना हो, यह उत्तरदायित्व समाज के सभी लोगों, न्याय प्रणाली, सुरक्षा अधिकारियों और मीडिया का है।

5 COMMENTS

  1. ऐसी अवस्था में,
    (१) राज्य-सीमित आपात्काल, हाँ, सीमित ‘EMERGENCY ‘ लगाकर, सारे देशद्रोहक कार्य.
    जड मूल से उखाड कर,
    शांति प्रस्थापित करनी चाहिए। सोक्ष मोक्ष करनेका समय अब है।
    (२) और फिर दूसरे चरण में, हिन्दुओं को वापस बसाना चाहिए।
    (३) साथ, सीमापर जमीन देकर, निवृत्त सेनाके अच्छे राष्ट्र भक्त, चूने हुए अफ़सरों को शस्त्र सहित बसाना चाहिए।
    (४) किसी भी देशद्रोही तत्व को कुचल देना चाहिए।
    (५)मच्छर को हथोडे से मारने का समय आज है।
    (६) समस्या प्राथमिक क्षीण अवस्थामें ५०-६० वर्ष पहले सरलता से सुलझाई जा सकती थी। नहीं की।
    फिर ३०-४० वर्ष पहले मध्यम थी, नहीं सुलझाई। आज राक्षस हो चुकी है। अब विना विलंब सुलझाई जाए। भारत अपनी शक्तिका परिचय दें।
    तो, तो, तो,
    मन मोहन सिंग दूबारा चुनकर आओगे।
    आपात्काल—सीमित आपात्काल ॥
    क्या भारत सार्व भौम सत्ता है, या बनाना रिपब्लिक है?
    फिर बकरी मिमियांएगी? या कुछ करके दिखाएगी?
    अचानक-अंधेरे में बिना घोषित कार्य वाही हो। परदेश को पता चलने के पहले काम खतम हो।
    सरदार पटेल की हैदराबाद पुलिस कार्यवाही की भांति।
    ॥वंदे मातरम्‌ ॥

  2. माननीय तोगड़िया जी नमस्कार!
    पहली बार आप से रु ब रु हो रहा हूँ. निश्चित रूप से आप ने सरकार के खोखलेपन को उजागर किया है. वोट बैंक के लिए ये सेकुलर किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. kashmiri paniditon aur jammu के logon को unka jayaj hak milna chahie. islami kattarta को kuchal dene ki jarurat है. तोगड़िया जी aaj nahi to kal desh को iska khamiyaja bhugtana hi padega. tab तक kaphi der हो gai rahegi

  3. तोगड़िया जी
    आप जैसे देशभक्त लोग भी सक्षम होते हुए भी कुछ नहीं कर रहे हैं ये बहुत हैरानी वाली बात है!
    आपके हाथ में इतना तो है ही की सरकार की जमकर खिंचाई करे! क्या पता ये शुभ काम आपके हाथों ही होना हो, अगर सरकार जागी और सही कारवाई की गयी तो कश्मीर समस्या को हल होने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा!

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