विविधा

यौनाचार का प्रायोजित व्यापार

– डॉ. राजेश कपूर, पारम्परिक चिकित्सक

हथियार बेचकर अरबपति बने विदेशी व्यापारी वासना का व्यापार करने से कब बाज आने वाले थे। लगे हाथ भारत के चरित्रवान समाज को चरित्रहीन और एड्स का संम्भावित शिकार बनाने का मौका भी मिल गया। इतना तो आप जानते हैं न कि अति वासनापूर्ण जीव जीने वाले आसानी से एड्स से ग्रसित हो जाते हैं। नहीं जानते तो जान लें कि एड्स का वायरस बड़ी मेहनत से डैट्रिक (अमेरीका) की प्रयोगशाला में तैयार किया गया और दुनिया में फैलाया गया जिसका शिकार व्यभिचारी आसानी से बनते हैं। प्रमाणों की कमी नहीं, अनेक हैं। (www.conspiracy planet.com देखें) ‘वैलेण्टाइन-डे’ के नाम पर युवाओं के यौन आकर्षण को नकद भुनाने का काम अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारियों ने बड़ी चालाकी से कर डाला है। मीडिया का इस्तेमाल सदा के समान बड़ी कुशलता से किया। अरबों रुपये के कार्ड, फूल, गिफ्ट, चॉकलेट का नया बाजार तैयार हो गया, जिसमें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की अच्छी-खासी हिस्सेदारी है। अनैतिक सम्बन्धों के फलने-फूलने का अधिक अनुकूल वातावरण तैयार करने का अवसर मिल गया। तभी तो अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस की तरह टूटते-बिखरते परिवार भारत में भी नजर आएंगे। चीन और भारत से घबराए ओबामा साहिब की घबराहट कुछ कम हो सकेगी और कण्डोम और सन्तती निरोध के साधनों का विशाल बाजार फटाफट तैयार।

हम न जानते हो तो यह भी जान लें कि न टूटने वाले परिवार भारत की बहुत बड़ी ताकत हैं, जिनके सुरक्षित वातावरण में मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त व स्वस्थ सन्तानें विकसित होती हैं। यूरोप और अमेरिका में सुरक्षा का यह वातावरण, न टूटने वाले परिवार दुर्लभ हैं। वहां तो बस पशुओं की तरह साथ सोए और अलग हो गए। पशु तो फिर भी मौसम के अनुसार सहज प्रवृत्तिा से व्यवहार करते हैं पर वहां की माया निराली है। स्त्री-पुरुषों में कोई आपसी वफादारी, ईमानदारी मुद्दा ही नहीं है, विचार का विषय ही नहीं। बस मल-मूत्र त्याग की तरह एक हाजत (Natural call) है जिससे जब चाहे निपट लिया, जहां चाहे हो गया। यदि यह सभ्यता है तो असभ्यता क्या होगी? तेजी से बढ़ते यौन रोग इसका एक स्वाभाविक परिणाम है। भारत के लोग उन्हें लांछित न करें, इसका प्रबन्ध बड़ी चालाकी से वे कर रहे हैं। उसी अभियान का एक हिस्सा है हमारी नालायक सरकार के सहयोग से स्कूलों में बच्चों को एड्स से बचाव के नाम पर यौन शिक्षा का प्रयास, लीव इन रिलेशनशिप को मीडिया में खूब महिमामण्डित करना, चन्द समलैंगिकों के अधिकारों की रक्षा के नाम पर उसे प्रोत्साहित करने की शरारत, गर्भनिरोधकों का खुला अश्लील प्रचार, आईटम गर्ल के नाम पर वेश्याओं जैसा बनने की प्रेरणा हमारी बच्चियों को देने के लिये मीडिया पर ऐसियों का महिमामण्डन और सम्मान करना व उन्हें बोल्ड बताना। यानी बोल्ड बनने की कसौटी अब कपड़े उतारना है, नग्नता है।

भारतीय समाज में इन विषयों को लेकर जो शालीनता, शर्म और संउसे समाप्त करने का सुनियोजित प्रयास है, प्रचार तंत्र और झूठ के दम पर। अमेरिका दुनिया का नियन्ता और आदर्श बनने के प्रयास में है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार हर युग में कोई दानव, राक्षस, रावण, कंस, दुर्योधन होते हैं। तो क्या क्या आज का रावण अमेरिका नही है? तो फिर आज का राम कौन है? ज़रा सोचिये आप भी और हम भी सोचते हैं।