आँसू को शबनम लिखते हैं

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water in eyeजिसकी खातिर हम लिखते हैं
वे कहते कि गम  लिखते हैं

आस पास का हाल देखकर
आँखें होतीं नम, लिखते हैं

उदर की ज्वाला शांत हुई तो
आँसू को शबनम लिखते हैं

फूट गए गलती से पटाखे
पर थाने में बम लिखते हैं

प्रायोजित रचना को कितने
हो करके बेदम लिखते हैं

चकाचौंध में रहकर भी कुछ
अपने भीतर तम लिखते हैं

कागज करे सुमन ना काला
काम की बातें हम लिखते हैं।

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