शिशुपाल और केजरीवाल

      दिल्ली का मुख्यमन्त्री बनने के पहले अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस और भ्रष्टाचार-विरोध का एक मुखौटा लगा रखा था जो समय के साथ-साथ तार-तार हो रहा है। कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छुपते। केजरीवाल की हरकतें इस कहावत की सत्यता सिद्ध करती हैं। शक तो तभी होने लगा था, जब केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन दिया था। अब इस शक को साबित करने की आवश्यकता नहीं रह गई है। केजरीवाल के अन्ध मोदी-विरोध ने शक की संभावना छोड़ी ही कहां है?

      महाभारत में एक पात्र है – शिशुपाल। वह श्रीकृष्ण का फ़ुफ़ेरा भाई था। वह कही से भी स्वयं को श्रीकृष्ण से कम नहीं समझता था। श्रीकृष्ण का अद्वितीय व्यक्तित्व उसकी ईर्ष्या का मुख्य कारण था। गुणों में तो वह श्रीकृष्ण का पासंग भी नहीं था लेकिन स्वयं को उनसे कम नहीं आंकता था। भक्ति करने के लिए तो प्रयास की आवश्यकता होती है लेकिन ईर्ष्या के लिये तो कुछ भी नहीं करना होता है। यह स्वभागत विकृति होती है जो दुष्ट-जनों में अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। शिशुपाल की यह ईर्ष्या सार्वजनिक रूप से सामने आई जब पाण्डवों के राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण का चुनाव प्रथम पूजन के लिए किया गया। यह चुनाव सर्वसम्मति से भीष्म पितामह की पहल पर किया था। पूरी सभा ने इसका अनुमोदन किया था। शिशुपाल को जब इसकी सूचना मिली, तो वह उग्र हो गया। अपनी असहमति और नाराज़गी को वह छिपा नहीं सका और यज्ञमंडप में ही उसने अशिष्टता प्रारंभ कर दी। उसने श्रीकृष्ण पर तरह-तरह के आरोप लगाते हुए गाली बकना शुरु कर दिया। पूरा यज्ञमंडप स्तब्ध था। युधिष्ठिर ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी। उधर वह गाली दे रहा था, इधर श्रीकृष्ण मुस्कुराये जा रहे थे। अर्जुन से श्रीकृष्ण का यह अपमान सहन नहीं हुआ। वे शिशुपाल के वध के लिये आगे बढ़े लेकिन स्वयं श्रीकृष्ण ने उन्हें रोक दिया। अर्जुन को समझाते हुये उन्होंने शिशुपाल को सुनाते हुए कहा –

“अर्जुन! तुम तनिक भी चिन्ता मत करो। यह पापी अपने पापों के कारण स्वयं अपने अन्त को प्राप्त करेगा। यह मेरे प्रति घोर ईर्ष्या-भाव रखता है और प्रत्येक अवसर पर मेरा विरोध ही नहीं करता, मेरा अपमान भी करता है। इसकी माता इसके इस स्वभाव से परेशान रहती है। मैं तो इसका वध कबका कर चुका होता, परन्तु मैं स्वयं अपनी बुआ को दिये गए वचन के कारण विवश हूं। मैंने इसकी मां को वचन दिया है कि मैं इसके सौ अपराध क्षमा करूंगा। परन्तु जैसे ही इसके अपराधों की संख्या सौ के पार जायेगी, मैं तत्क्षण इसका वध कर दूंगा। संभवतः वह दिन आज आ गया है। मैं इसके अपराधों की गिनती कर रहा हूं। शीघ्र ही इसकी संख्या सौ पार करने वाली है। इसका अन्त निकट आ गया है। धैर्य रखो और देखते जाओ।”

श्रीकृष्ण का यह संदेश शिशुपाल और यज्ञमंडप में उपस्थित सभी राजाओं ने स्पष्ट सुना। श्रीकृष्ण का यह वचन शिशुपाल के लिए अन्तिम चेतावनी थी लेकिन उसने सुनकर भी अनसुना कर दिया और अपनी रफ़्तार से गाली बकता रहा। जैसे ही सौ गालियों की सीमा पार हुई उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग थी। श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का अन्त कर दिया।

आज मैं सोचता हूं कि आखिर नरेन्द्र मोदी ने अरविन्द केजरीवाल का क्या बिगाड़ा है कि वे घूम-घूमकर, पानी पी-पीकर शिशुपाल की तरह गालियों की बौछार कर रहे हैं। पूरा देश मोदी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। गुजरात को विकास के शिखर पर पहुंचाने के कारण पूरी दुनिया उन्हें विकास पुरुष के रूप में जानती, पहचानती है। उनपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप उनके धुर विरोधी शहज़ादा भी नहीं लगा सकते। अनुशासन और कर्त्तव्यनिष्ठा उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग हैं। सुशासन और सुप्रशासन उनके अमोघ अस्त्र हैं। वर्तमान परिवेश में उनका कोई विकल्प नहीं है। भारत की जो दुर्दशा पिछले १० वर्षों में हुई है उसके लिए वे कही से भी जिम्मेदार नहीं हैं। फिर क्या कारण है कि अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस और सोनिया गांधी को छोड़कर नरेन्द्र मोदी के पीछे पड़े हुए हैं। अभी तक तो वे मल्लिका-ए-हिन्दुस्तान सोनिया और अमेरिकी कुबेर फ़ोर्ड के ही एजेन्ट के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि वे शिशुपाल के कलियुगी अवतार हैं।

Previous articleपशुपति से तिरुपति तक बहती लाल धारा
Next articleव्यंग्य बाण : उफ, ये सादगी
विपिन किशोर सिन्हा
जन्मस्थान - ग्राम-बाल बंगरा, पो.-महाराज गंज, जिला-सिवान,बिहार. वर्तमान पता - लेन नं. ८सी, प्लाट नं. ७८, महामनापुरी, वाराणसी. शिक्षा - बी.टेक इन मेकेनिकल इंजीनियरिंग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय. व्यवसाय - अधिशासी अभियन्ता, उ.प्र.पावर कारपोरेशन लि., वाराणसी. साहित्यिक कृतियां - कहो कौन्तेय, शेष कथित रामकथा, स्मृति, क्या खोया क्या पाया (सभी उपन्यास), फ़ैसला (कहानी संग्रह), राम ने सीता परित्याग कभी किया ही नहीं (शोध पत्र), संदर्भ, अमराई एवं अभिव्यक्ति (कविता संग्रह)

9 COMMENTS

  1. हम जानना चाहते है नोटंकी बाज की पार्टी का सोनिया गांधी , ए राजा , औवेसी , पी चिदम्बरम के बेटे , व सचिन पायलट के विरुद्ध कोई उम्मीदवार खड़ा नही करने का क्या इरादा है । मोदी का विरोध करने से देश सुधर जाएगा । आप बताए जो लोग इतने सालो से देश पर राज कर रहे है ओर देश की हालात क्या है . अब जब एक बार मोदी को मौका देने की बात की जा रही है तो सब के सब मोदी को रोकने मे लग गए । इरादा क्या है ……..समझ लो

  2. विपिन किशोर सिन्हा जी ने अच्छा प्रश्न पूछा है कि अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस और सोनिया गांधी को छोड़कर नरेन्द्र मोदी के पीछे क्यों पड़े हुए हैं। तो इसका उतर यह है कि नमो के रूप में आपलोग जो भ्रष्टाचार के रोग की औषधि देख रहे हैं,वह गलत औषधि है .उससे रोग घटने के बदले बढ़ेगा। आम जनता तो राहुल और सोनिया को बहुत पीछे छोड़ चुकी है। इसकी एक झलक दिल्ली के चुनाव में देखी जा चुकी है।अब तो लड़ाई उससे है ,जो इसका लाभ उठाकर अपना और अपने आकाओं का उल्लू सीधा करना चाहता है।
    आप लोग समझ नहीं पा रहे है कि नमो भष्मासुर हैं,जो पहले भाजपा को समाप्त करेंगे और बाद में राष्ट्र को.अभी तो राष्ट्र रसातल की ओर जा ही रहा है. नमो के आने से इसकी इस गति में तीव्रता आयेगी।
    आज असल में एक तरफ भ्रष्टाचार है,सड़ी हुई व्यवस्था है,बड़े बड़े पूंजीपतियों की दलाली है,तो दूसरी तरफ व्यवस्था परिवर्तन का संकल्प है,सत्ता और आर्थिक विकेंद्रीकरण का आदर्श है और है आम आदमी के जिंदगी कोअच्छा करने की दृढ इच्छा। यह तो भारत के आवाम को निश्चित करना है कि वह किसका पक्ष लेगी.

    • r.r.sinh aap ki soch kup maduk jaisi hai —aap apane kuve ke bahar kuchh soch hi nahi sakte —muje lagta hai ki aap khud rastra ko rasatal ki taraf le jano valo ki aguvai karte hai kejri ki aad me

      • Narendra Singh ji,I don’t mind such comments,but I have questioned the credibility of Modi,please try to counter that.I am not advocate of Arvind Kejriwal. My support to AAP is based on issues raised by it.

      • Narendra Singh ji,you are free to say ,whatever you like ,but I have raised certain issues,please try to answer those.There was a news at TV channel News Express on 30.03.2014.It was stated in that news that 44.5 % children in Gujarat are suffering from malnutrition.Gujarat was having a loan burden of 10 thousand crores in 1995,which has increased to 1.38.562 crores now.Drop out rates in schools have increased many fold in 12 years. 10 lakh educated youths are unemployed. I don’t understand this develpoment.There was a news in TOI,Delhi also on 11.03.2014,which reads as following,
        “Modi’s turf flops on edu,health”
        It puts a big hole in Gujarat’s development claim.

        • सिंह साहब आप सिर्फ छिद्रान्वेषण कर रहे हैं, चीजों को व्यापक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करे. जिसने कुछ कर दिखाया है लोग उसी के पीछे जायेंगे, मैदान छोड़ कर भागने वालों के साथ कौन खड़ा होगा? जो पीड़ा और असहायपन दिल्ली वालों को मिला है उसकी भरपाई कौन करेगा? कोई भी रामराज्य नहीं दे सकता, कमियां सबके अंदर होती हैं, किन्तु उन्हें दूर करने का माद्दा रखने वाले को ही अच्छा माना जाता है इंसान की सदिच्छा उसके सामने आनेवाली हर बाधा को दूर कर देती है अगर गांधीजी यह सोचकर नमक आन्दोलन बंद कर देते कि लोग या सत्ता हमारा साथ नहीं देगी तो क्या वे इतना बड़ा काम कर पाते? काम से भागने का हर दावा झूठा होता है इस बात को समझ लीजिए

          • गांधीजी ने चौरी चौरा के एक छोटी सी घटना के बाद १९२० में असहयोग आंदोलन रोक दिया था,उसके बारे में आपका क्या ख्याकल है?क्या गांघी जी भगोड़े थे?

  3. बात की जा रही है अरविंद के नमो के साथ मिलकर भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने की, तो ऐसे हास्यास्पद वक्तव्य पर क्या टिप्पणी किया जाये?जिस के गुजरात मंत्रिमंडल में दागी भरे पड़े है और जो दागियोंको भाजपा में धडाधड शामिल करके टिकट दिये जा रहा है,वह क्या भ्रष्टाचार का उन्मूलन करेगा? नमो गुजरात को एक सशक्त लोकायुक्त तो दे नहीं सके और दावा करते हैं,भ्रष्टाचार उन्मूलन का।
    आज असल में एक तरफ भ्रष्टाचार है,सड़ी हुई व्यवस्था है,बड़े बड़े पूंजीपतियों की दलाली है,तो दूसरी तरफ व्यवस्था परिवर्तन का संकल्प है,सत्ता और आर्थिक विकेंद्रीकरण का आदर्श है और है आम आदमी के जिंदगी कोअच्छा करने की दृढ इच्छा। यह तो भारत के आवाम को निश्चित करना है कि वह किसका पक्ष लेगी

  4. अण्णा के आंदोलन से यह कार्टून क्यों अलग हुआ?
    और आगे बढा, तथाकथित भ्रष्टाचार के विरोधमें।
    अपेक्षित था, कि, वह मोदी की प्रशंसा करता, उनको जिताने में सहायता करता।
    पर सारा खेल उलटा खेल रहा है।
    भ्रष्टाचार विरोधी मोदी का ही विरोध कर रहा है।
    कौनसे तर्क पर? यह तो शिशु ही है, शिशुपाल होगा भी।
    और मूर्ख-शिरोमणी “चुनौती स्वीकार करता हूँ”, कहता है।
    अबे तुझे चुनौती किसने दी?
    ——विपिन जी सुंदर व्यंग्य के लिए धन्यवाद।

Leave a Reply to आर. सिंह Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here