सिंह साहेब का गुस्सा

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एल आर गाँधी

cartoon manmohanशांत स्वभाव सिंह साहेब को दूसरी बार गुस्से में देखा है …एक तो पिछले दिनों जब वे मोदी के ‘नाईट वाच मैन ‘तंज़ पर बिफरे थे या अबकी जब इटली के पी एम् ने हमारे ‘ मेहमान ‘लौटाने से इनकार कर दिया … सिंह साहेब ने साफ़ साफ़ कह दिया कि इटली की यह ‘सीना जोरी ‘ हमें हरगिज़ मंज़ूर नहीं ! मियां खुर्शीद को तलब किया और इटली के राजदूत से ‘नाराजगी’ ज़ाहिर करने का फरमान जारी कर दिया …बा हुकम खुर्शीद मियां ने भी राजदूत को बुलाया और ना….से बोले तो ….. जाहिर कर दी. अब देश के सबसे आला कोर्ट की नज़र में इटली के ये दो मेहमान ‘भगोड़े ‘ हैं ..इन पर केरल के समंदर तट पर दो हिंदुस्तानी मछ्वारो को मौत की नींद सुलाने का आरोप था .. इटली ने पहले तो ‘ले -दे कर मामला रफा दफा करने की जुगाड़ लड़ाई , मगर कानून के लम्बे हाथों के आगे एक न चली . अब आला कोर्ट से ‘वोट डालने ‘ के लिए दोनों नौसैनिकों को जब दूसरी पैरोल मिली तो ‘मुजरिम नोउ दो ग्यारा हो गए …. और हों भी क्यों न …हमारे मेहमान नवाज़ हुक्मरानों का ‘ट्रैक -रिकार्ड ही कुछ ऐसा है …..

जवाई मियां वाड्रा साहेब ने ठीक ही तो कहा है ..’.इण्डिया इज ऐय बनाना स्टेट ‘ फिर इटली तो राजमाता जी के मायके जो ठहरे …अपने भाई बंधुओं को ‘पैरोल ‘ नहीं तो और किसे ? रही ट्रैक रिकार्ड की ‘ चाचा कात्रोची ‘ को मेहमान बना रक्खा ,खिलाया और जब ‘ बिचौलिये ‘की चोरी पकड़ी गई, तो बचाया भी और भगाया भी ….अब भोपाल गैस के गुनेहगार को ही ले लो …इन नौसैनिकों ने तो महज़ दो मछुयारे ही मारे हैं …भोपाल में 15274 लोग मारे गए और अनगिनत गैस पीड़ित लोग आज भी नारकीय जीवन जी रहे हैं .. और इस त्रासदी के मुख्य गुनहगार को केंद्र के इशारे पर तत्कालीन सी एम् अर्जुन सिंह ने सरकारी जहाज़ में बिठा कर अमेरीका ‘रुखसत किया …. कोर्ट से महज़ २ साल की सजा हुई और ‘वारेन एंडरसन ‘ 28 साल बाद आज भी भगोड़ा है . बनाना स्टेट के गुनाहगार भगोड़ो की लम्बी कतार में दो नाम और जुड़ गए ….फिर भी सिंह साहेब का ‘ गुस्सा ‘ ……..!

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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  1. गुस्सा आये तो अच्छी बात है,पर सोचने वाली बात है कि उन्हें पहले जाने ही क्यों दिया गया?जब इटली का कानून डाक से मत देने का अधिकार अपने नागरिकों को देता है ,तो जाने कि अनुमति देना ही गलत था.शायद इस पर कोई दवाब रहा होगा.केंद्र सरकार कोर्ट में इसका विरोध कर सकती थी.फिर केरल हाई कोर्ट पहले ही कठोरे शर्तो के साथ इस हेतु इंकार कर चूका था.यह भी प्रशन उठता है कि अन्य किसी देश के अपराधी नागरिक को भी ऐसी छूट मिलनी इतनी आसानी से संभव थी.शायद नहीं.यह तभी संभव है जब उन पर कोई वरद हस्त हो,जैसा कि आपने उपर वर्णित किया.अब आँख दिखाने या गुस्सा होने से काम चलना मुश्किल ही है.कहानी लम्बी ही न्जाएगी,जब इटली अंतर्राष्ट्रीय न्यालय में जाने कि बात कह रहा है.असल में हमारी ढुल मूल विदेश नीति पक्षपात पूर्ण तरीका ऐसे शर्म नाक मोड़ पर हमें ल खड़ा करता है,कि 6 करोड़ आबादी वाला देश १२० करोड़ आबादी वाले देश को आँख दिखाता है.यही हाल पाकिस्तान के साथ हो रहा है.दुर्भाग्य से हर विभाग में विफल रहे व्यक्ति की विदेश मंत्री पद पर नियुक्ति भी एक कारण रही है

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