हथिनी दीदी

eleहथिनी दीदी बैठ ट्रेन में,

निकल‌ पड़ीं भोपल को|

धुम चुक धुम चुक बजा रहीं थीं,

अपने सुंदर गाल को|

 

तभी अचानक टी टी आया,

बोला टिकिट कहाँ ताई,

हथनी बोली टिकिट मांगकर,

तुमको शरम नहीं आई|

 

टिकिट‌ काउंटर इतना छोटा,

सूंड़ नहीं घुस पाई थी |

इस कारण से टी टी भैया,

टिकिट नहीं ले पाई थी|

 

पहिले आप टिकिट की खिड़की,

खूब बड़ी करवाओ|

उसके बाद‌ श्री टी टीजी,

टिकिट मांगने आओ

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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