एफ डी आई यानि फेयर डील फार इण्डिया

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जग मोहन ठाकन

बुजुर्गों का मानना है कि सरकार माई-बाप होती है। मां-बाप कभी अपनी संतान का बुरा नहीं सोचते। और फिर कांग्रेस सरकार तो उस गांधी के नाम पर सत्ता सुख भोगती आ रही है ,जिसके बंदर तक बुरा बोलना, बुरा देखना,यहां तक कि बुरा सोचना भी निषेध मानते हैं । पर क्या करें ?देश वासियों के संस्कारों में ही कोई गड़बड़ आ गई है ,जो सरकारी मां-बाप के फैसलों को मानने से इन्कार कर रहे हैं। और तो और भारतीय संस्कारों की तथाकथित रक्षक कहलाने वाली पार्टी भी विरोध पर उतारू हो गई है। जिसे देखो, वही उल्टा बोल रहा है ।बना बनाया खेल बिगाड़ दिया । सरकार की कितनी तौहीन होगी ,यह किसी ने नहीं सोचा । अगर घर का मुखिया कहीं किसी की भैंस खरीद का सौदा कर आये और घर आते ही परिवार के सदस्य विरोध कर दें तो मुखिया का क्या हाल होगा ,आप खुद ही सोचें ?सारी साख मिट्टी में नहीं मिल जायेगी क्या?क्या वह मुखिया दोबारा बाहर जाकर किसी बात की हामी भर सकेगा ?पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है ।सब अपने अपने कुतर्क दे रहे हैं। हमारे मनमोहना की इस बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा कि विदेशों में देश की क्या साख रह जायेगी ।पिछली बार न्यूक्लियर डील की खातिर तो अपनी सत्ता दांव पर लगा दी थी ,पर हर बार तो गीदड़ धमकी नहीं चलती ना ।

इस देश के लोग भले ही शिक्षित व विकसित होने का लाख दावा करते हों , परन्तु अभी भी उनकी सोच विकसित नहीं हो पाई है । वही पुरानी राग और वही पुराना डफली । लोगों को पता नहीं एफ डी आई के फायदे क्यों नजर नहीं आ रहे हैं। उन्हें कल्पना करनी चाहिए उस माहौल की ,जब एफ डी आई अम्बर बेल की तरह हमारे देश में अपने पैर पसार लेगी । जहां पुरानी गंदगी भरी दुकानों में ठूंस-ठूंस कर बासी माल भरा पड़ा है, जिसकी न कोई “एक्सपायरी’ डेट’है ना कोई सार सम्भाल। घुन लगे गेहूं बेचे जा रहे हैं तो तारकोल की तरह बहता गुड़ ।जब विदेशी कम्पनियां यहां अपनी फ्रेंचाइजी खोलेंगी तो हर चीज साफ-सुथरी मिलेगी । विदेशी गौरी चमड़ी की तरह । दुकानों में जहां पेटू बनिए एक जगह पसरे पसरे माल तौलते हैं ,वहीं एफ डी आई के बाद सभी दुकानें ए .सी हो जायेंगी , साफ सफाई मोहित करने वाली होगी । माल बेचने वाली युवतियां-युवक ग्राहक को वैल्कम बोलेंगे। ताजा लाल टमाटरों को जब पैकेट में डालकर गौर-वर्ण सेल्स गर्ल ग्राहकों को हाथों में देगी तो क्या सब कुछ लालिमा युक्त नहीं हो जायेगा?

लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल। जब धन्नों ताई एफ डी आई की दुकान पर जायेगी और टाई लगी नवयौवना उसे वैल्कम मैम” बोलेगी तो क्या धन्नो ताई धन्य नहीं हो जायेगी ?कपड़े धोने के साबुन के साथ जब सेल्स गर्ल विदेशी शैम्पू व क्रीम फ्री में देगी तो धन्नो तो निहाल हो जायेगी। झट कुंवारी कन्या पर सदा सुहागिन का आशीर्वाद उड़ेल देगी। विदेशी क्रीम लगाकर धन्नों ताई की उूंट की तली सी फटी ऐड़ियां क्या हेमा मालिनी की गालों सी नहीं हो जायेंगी ?अब जो युवा लड़के बाजार से सामान लाने में अपनी तौहीन समझते हैं,क्या वो लखनउ के नवाबों की तरह पहले आप पहले आप की तर्ज पर ,आज मैं, आज मैं का अनुरोध नहीं करने लग जायेंगे ?हमारे देश के लाखों बेरोजगारों को इन्हीं दुकानों में सेल्स मैन, सेल्स मैनेजर, सेल्स चीफ आदि की बढ़िया और टाई लगाने वाली नौकरियां मिलने लगेंगी । हमें विदेशों में नौकरी का बड़ा चाव है। जिन लोगों के बच्चे विदेशों में नौकरी करते हैं ,वो शेखी बघारते ही सो जाते हैं, वही राग अलापते उठते हैं। अब इस से बढ़िया मौका और क्या होगा कि खुद विदेशी लोग हमें अपना नौकर स्वीकार करने हमारे ही घर आ रहे हैं । हम धन्य हो जायेंगे । फिर आज रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को छूट मिली है ,कल किसी और सैक्टर में छूट मिलेगी ,परसों प्रशासन मे। और धीरे धीरे रे मना ,धीरे सब कुछ होये । अगर आप धीरज रखेगे तो वो दिन भी दूर नहीं ,जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्वतः ही प्रत्यक्ष विदेशी उपनिवेश में तबदील हो जायेगा।हम फिर चिन्ता मुक्त हो जायेंगें । ना राज की चिन्ता ना काज की चिन्ता । न जन लोकपाल का मसला रहेगा ,न रोज रोज के चुनावों का झंझट । नीरो चैन की बंसी बजायेगा और हम “तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो “ की आरती में लीन रहेंगे । जय इण्डिया -जय एफ डी आई ।।

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