पैर की मोच और छोटी सोच
हमे आगे बढ़ने नहीं देती
टूटी कलम दूसरो से जलन
खुद को लिखने नहीं देती
आलस्य और पैसो का लालच
हमे महान बनने नहीं देता
हम है उच्च दूसरे है नीच
ये हमे इंसान नहीं बनने देता
मिल जाती है दुनिया की सब चीजे
पर अपनी गलती नहीं मिलती
ढूढ़ते है जब दूसरो की गलतिया
एक नहीं हमे हजारो है मिलती
लेना है अगर सफर का मजा
अपना सामन कम कीजिये
जिन्दगी का मजा लेना है तो
दिल के अरमान कम कीजिये
देखकर तैरती लाश किनारे पर
समझ मुझे यह आया था
बोझा ये शरीर का न था
ये केवल साँसों का बोझा था
आर के रस्तोगी
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