हिंदी की मुहावरे,बड़े ही बावरे है

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हिन्दी के मुहावरे,बड़े ही खरे है
खाने पीने की चीजो से भरे है
कही पर फल है कही पर आटा दाले है
कही पर मिठाई है तो कही  मसाले है
चलो फलो से शुरू कर देते है
उनका ही  स्वाद चख लेते है 

कही आम के आम गुठली के दाम होते है
जब अँगूर मिलते नहीं तो वे खट्टे होते है
कही खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदलता है
कही दाल गलती नही कही दाल में काला होता है

कोई डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है
कोई लोहे के चने  चबाता है
कोई माल- पूऐ कहकर रोता रहता है
कोई दाल-भात में मूसल हो जाता है

कही आटे में तो नमक चल जाता है
कही गेहू के साथ घुन पिस जाता है
कही गरीबी में आटा गीला हो जाता है
कही पानी में दूध मिल कर आता है

गुड खाते है पर गुलगुले से परहेज करते है
और कही गुड का गोबर सब  कर देते है
कही तिल का ताड़ बना देते है
कही राई का पहाड़ बना देते है

कही ऊट के मूह में जीरा है
कोई जले पर नमक छिडकता है
किसी के दूध के दात गिरे नहीं
तो कोई दूध का धुला नहीं

किसी को छटी का दूध याद आता है
कोई छाछ को दूध समझ कर पीता है
जब कोई दूध का जला हो तो
वह छाछ को भी फूक फूक कर पीता है

आर के रस्तोगी    

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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