राजनीति

कुछ तो लोग कहेंगे. लोगों का काम है कहना

download बीनू भटनागर-

8 दिसम्बर 2013 की शाम दिल्ली विधानसभा के परिणामो ने सभी को स्तब्द्ध कर दिया राजनीति मे एक नये दल के अभ्युदय के रूप मे ‘आप’ ने 28 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया। भाजपा के पास 31 और कांग्रेस के पास 8 सीटें आई। ‘आप’ की जगह कोई और पार्टी होती तो भाजपा कोई न कोई जुगाड़ करके सरकार बना चुकी होती, पर हर्षवर्धन को कहीं से समर्थन की उम्मीद नही थी, इसलिये उपराज्यपाल के न्योते को उन्होने अस्वीकार करते हुए सरकार बनाने मे अपनी असमर्थता ज़ाहिर कर दी।केजरीवाल शुरू से ही कह रहे थे कि वो कांग्रेस या भाजपा से न समर्थन मांगेंगे न उन्हे समर्थन देंगे। पत्रकारों के बार बार पूछने पर उन्होने अपने बच्चों की कसम भी खाली।उधर कांग्रेस ने बिना शर्त, बिना मांगे समर्थन देने की घोषणा करदी।अब जनता मीडिया और अन्य सभी दल दबाव बनाने लगे कि ‘आप’ को सरकार बनानी चाहिये और दिल्ली को दोबारा चुनाव मे भेजकर धन की बर्बादी को रोकना चाहिये। जब उपराज्यपाल ने उन्हे बुलाया तो एक वर्ग सरकार बनाने के लियें ज़ोर डाल रहा था और कह रहा था कि वो ज़िम्मेदारी से  भाग रहे हैं, बड़े बड़े चुनावी वादे पूरे करने की क्षमता नहीं है इसलियें सरकार नहीं बना रहे हैं,तो दूसरा वर्ग कह रहा था कि जिनके विरोध मे चुनाव लड़ा है उनकी नीतियों से कैसे समझौता कर  सकते है आदि….। ऐसे मे निर्णय के लियें 10 दिन का समय मांग कर अरविंद ने फिर सबको चौंका दिया।भारत मे जो कभी नहीं हुआ था वो हुआ जनमत संग्रह  ‘’सरकार बनायें या न बनायें।‘’जनता का बहुमत सरकार बनाने के लियें आया तब जाकर अरविंद सरकार बनाने को तैयार हुए।आलोचनाओं का दौर रुकना नहीं था, रुका भी नहीं।

भाजपा का कहना है कि ‘आप’ ने जनता से विश्वासघात किया अरे भई दोबारा दिल्ली की जनता के निर्देश पर सरकार बनाने जा रहे हैं..जनमत संग्रह का भी मज़ाक उड़ाया गया क ‘’हर बात के लियें जनता के पास जाओगे तो सरकार कैसे चलाओगे।‘’ उधर मीडिया ताक मे लगा था कि ‘आप’ की ग़लती पकड़े, उसने याद दिलाया कि अरविंद ने कभी अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वह कांग्रेस के साथ सरकार नहीं बनायेंगे। केजरीवाल ने बच्चों की कसम नहीं तोड़ी, वो अल्पमत सरकार बना रहे हैं,बहुदलीय सरकार नहीं, वो अपनी ही शर्तों पर सरकार बनायेंगे, अपने चुनाव घोषणापत्र के अनुसार काम करेंगे,कोई सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम (common minimum programme)नहीं है।

मीडिया ने फिर एक बार राई का पहाड़ बनाया कि बिन्नी मंत्री पद न मिलने से अप्रसन्न हैं, आप ने फिर एक बार अपनी बात को सिद्ध किया कि वो सत्ता के लियें नहीं आये है।आप को बार बार कभी जनता, कभी दूसरे राजनैतिक दल, कभी मीडिया और कभी उनके पुराने सहयोगी कटघरे मे लाकर खडा कर देते हैं और अब तक वो अपने को सिद्ध आरहे हैं। कांग्रेस कब तक उनको समर्थन देगी ये कोई नहीं जानता, वहाँ भी इस बात पर विवाद है। ऐसी स्थिति मे बार बार प्रश्न उठाये जा रहे हैं कि आप जनता को किये हुए वादे कैसे पूरे करेंगी? अभी सरकार बनने दीजिये उसे कुछ समय मिलेगा तभी  तो वो कुछ कर पायेंगे…यदि इतने प्रश्न जनता और मीडया ने कांग्रेस और भाजपा से पूछे होते, इतनी कसौटियाँ पार करने को दी होती तो शायद आज ‘आप’ का उदय न हुआ होता। अब जनता जाग गई है… किसी की  कोताही नहीं सहेगी कई और अरविंद आयेंगे… कई और चुनौतियाँ आयेंगी….

शपथ ग्रहण समारोह पर आप और दिल्ली की जनता को शुभकामनायें।