डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री सोनिया कांग्रेस की हाल ही में , पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिये चुनावों में जबरदस्त हार हुई है । केवल हार ही नहीं , दिल्ली राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो उसका सूपडा ही साफ हो गया है । थोडी बहुत लाज मिजोरम में चर्च ने बचा दी , अन्यथा पार्टी के भीतर ही विद्रोह की स्थिति पैदा हो सकती थी । इस हार से सबक लेते हुये पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गान्धी और उपाध्यक्ष राहुल गान्धी (जो संयोग से रिश्ते में मां और बेटा हैं) ने हार के कारणों की समीक्षा करने की घोषणा की । कोई भी पार्टी ऐसी स्थिति में उन कारणों की खोजबीन करेगी ही , जिनके कारण मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया हो , जिनकी अवहेलना करने के कारण पार्टी की इतनी फ़ज़ीहत हुई । यह ठीक है कि पार्टी को जन समस्याओं को समझने के लिये गहरा चिन्तन करना पडा होगा । जमीनी स्तर पर कार्यक्रताओं को इस काम में लगाना पडा होगा कि देश की आम जनता क्या चाहती है , उसकी क्या समस्याएं हैं जिनका समाधान न कर पाने या फिर उनको समझ पाने में ही पार्टी पीछे रह गई । पार्टी के छंटे हुये नेता भी इस समुद्र मंथन में लगे ही होंगे । बात भी ठीक है । पार्टी की पकड में एक बार देश की जनता को परेशान करने वाले सही मुद्दे आ जायें तो उसका समाधान भी किया जा सकता है और इससे आगामी चुनाव जीते भी जा सकते हैं । लगता है इतनी गहरी मेहनत के बाद पार्टी हार के सही कारणों को पकड पाई है और उसने उन्हीं मुद्दों पर आने वाले समय में संघर्ष करने का मन बनाया है । पार्टी अबकी बार जनता के सही मुद्दों को समझ कर , उसका समाधान करने के लिये कितनी गंभीर है , इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गान्धी , जो आम तौर देश को दरपेश आ रही समस्याओं को लेकर सार्वजनिक रुप से नहीं बोलतीं , पार्टी की अन्दरुनी बैठकों में अवश्य उन समस्याओं पर दिशा निर्देश देती होंगीं , उन्होंने भी इस मुद्दे पर पार्टी की आधिकारिक पोजीशन स्पष्ट करने के लिये स्वयं सार्वजनिक रुप से बयान जारी किया । इतना ही नहीं राहुल गान्धी ने भी , चाहे एक पंक्ति बोलने के लिये ही , इस मुद्दे पर विशेष प्रैस कान्फ्रेंस की । सोनिया कांग्रेस की दृष्टि में देश के सामने इस समय जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा है , वह समलैंगिकता का है । जब तक देश की जनता को समलैंगिक सम्बधों का अधिकार नहीं मिल जाता , तब तक देश तरक्की के रास्ते में पिछडा रहेगा । वह विश्व शक्ति बनने में पीछे रह सकता है । लेकिन एक बात थोडी चिन्तित करती है । जब राहुल गान्धी देश के लिये जीवन मरण का प्रश्न बन चुके समलैंगिकता के प्रश्न पर अपनी पार्टी की ओर से एक पंक्ति की विशेष प्रैस कान्फ्रेंस कर रहे थे , तो थोडा शर्मा रहे थे । समझ नहीं आता कि पार्टी की नजर में जो विषय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है , उस पर बात करते समय शरमाने की क्या जरुरत है ? खैर यह पार्टी का अन्दरुनी मसला हो सकता है । इसके लिये माथापच्ची करने की जरुरत नहीं है । मुद्दे की बात यह है कि इस मुद्दे को लेकर सोनिया कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है । यह मुद्दा आगामी लोक सभा चुनावों के लिये पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र ही कहा जायेगा । हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा समलैंगिकता को दिया गया निर्णय मानों सोनिया कांग्रेस के लिये बिल्ली के भाग छींका टूटा , जैसा ही साबित हुआ है । मां बेटे ने जिस फुर्ती से इसे लपक लिया है , उससे पार्टी के भीतर कबाड़ बन चुके पुराने लोग भी चकित हैं । पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि समलैंगिकता का विरोध करने वाले किसी भी कानून को हर हालत में समाप्त किया जायेगा । उसने कहा है कि इस अत्यन्त महत्वपूर्ण जन समस्या का समाधान करने के लिये पार्टी संसद में भी बिल लेकर आयेगी । समलैंगिकता के मुद्दे के मिलते ही,लगता है हार के बाद भी पार्टी में नई जान पड गई है । पार्टी ताल ठोंक कर अन्य राजनैतिक दलों को ललकार रही है । बोलो , जब हमारी पार्टी समलैंगिकता के पक्ष में संसद में दहाडेगी तो आप लोगों का क्या स्टैंड होगा ? जाने माने वक़ील कपिल सिब्बल तो कानून के कीडे हैं । इसलिये इस समलैंगिकता को लेकर लगता है जन जागरण का काम भी पार्टी ने उन्हें ही दे दिया है । अब फैसला उच्चतम न्यायालय का है , इसलिये सिब्बल सीधे सीधे तो उसकी आलोचना नहीं कर सकते , लेकिन अपने मन का दर्द छिपा भी नहीं पाते । आखिर उस पार्टी की विचारधारा का प्रश्न है जिसकी कृपा से इतने अरसे से सत्ता सुख भोग रहे हैं । उनका कहना है कि जो लोग समलैंगिकता का विरोध कर रहे हैं , वे इस देश की संस्कृति को नहीं जानते । सिब्बल यह भी कहते हैं कि न्यायाधीश देश के युवा की आकांक्षाओं से कट गये लगते हैं । कांग्रेस की इस सक्रियता को देख कर लगता है , पार्टी के पास अनेक छुपे रुस्तम हैं , जो देश के युवा के ह्रदय की धडकनों से बख़ूबी इन टच रहते हैं । वैसे तो पार्टी के पास हर विषय के विशेषज्ञ हैं । पिछले दिनों पार्टी के एक अर्थशास्त्री बता रहे थे कि जो दिन भर में बीस पच्चीस रुपये कमा लेता है , वह अमीर की श्रेणी में आ जाता है । फिर दूसरे अर्थशास्त्री आगे आये और बताने लगे कि देश में सब्ज़ियों के भाव इस लिये बढ़ रहे हैं क्योंकि आम आदमी की हिम्मत भी सब्ज़ियाँ खाने की हो गई है । सोनिया कांग्रेस की इस रिसर्च पर तो जनता ने फ़ैसला दे दिया है । अब झट से पार्टी ने बिना क्षण भर की देरी किये समलैंगिकता का मुद्दा पकड लिया है । आप सिर धुनते रहिये ,लेकिन सोनिया और राहुल ने तो लड़ाई छेड़ दी है , कपिल सिब्बल जैसे सहायकों की सहायता से । वैसे पिछले दिनों ही अपने सलमान खुर्शीद ने कहा था कि सोनिया तो सारे देश की माँ है । अब देखना है यह माँ और कौन से मुद्दे उठाती है और उसके समर्थन में और कौन कौन से छुपे रुस्तम निकलते हैं ।