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‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ के दो वर्ष पूरे होने पर विशेष

प्रिय पाठकों,

नमस्‍कार।

आप जानते होंगे कि ‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ की शुरूआत 16 अक्‍टूबर, 2008 को हुई थी। इसलिए यह हम सबके लिए हर्ष की बात है कि आज ‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ के दो साल पूरे हो गए। तब से लेकर अब तक न केवल इसकी निरंतरता हमलोगों ने कायम रखी बल्कि गुणवत्ता के स्तर पर भी विशेष ध्‍यान दिया। हम लोगों ने यही सोच कर ‘प्रवक्‍ता’ शुरू किया था कि मुख्यधारा के मीडिया से ओझल हो रहे जनसरोकारों से जुड़ी खबरों व मुद्दों को प्रमुखता से प्रकाशित करें और उस पर गंभीर विमर्श हो। साथ ही एक अरब से अधिक की जनसंख्या वाले देश की राष्ट्रभाषा हिंदी को इंटरनेट पर प्रभावी सम्मान दिलाने के लिए सार्थक प्रयास हो। हमने इस दिशा में ईमानदारी से प्रयास किया, इसलिए महज दो साल की अवधि में ही प्रवक्‍ता वेब पत्रकारिता का चर्चित मंच व वैकल्पिक मीडिया का प्रखर प्रतिनिधि बन गया है। भाषा, विषयवस्तु और विविधता की दृष्टि से इसने वेब पत्रकारिता की दुनिया में प्रमुख स्थान बना लिया है।

आपको यह भी विदित होगा कि पिछले दिनों ‘प्रवक्‍ता’ को एलेक्‍सा सुपरहिट एक लाख वेबसाइट्स में शामिल होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। गौरतलब है कि हिंदी की कुछ ही वेबसाइट एलेक्‍सा एक लाख क्‍लब में शामिल है। यहां हम पाठकों को बता दें कि ‘प्रवक्‍ता’ को एक महीने में लगभग 4 लाख हिट्स मिल रही हैं। इस वेबसाइट पर राजनीति, अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, मीडिया, पर्यावरण, स्वास्थ्य, साहित्य, कला-संस्कृति, विश्ववार्ता, खेल से संबंधित 2500 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। 200 से भी अधिक लेखक हमसे जुड चुके हैं। दर्जनों समाचार-पत्रों में ‘प्रवक्ता’ के लेखों की चर्चा  हो चुकी है।

प्रवक्‍ता डॉट कॉम के इस मुकाम पर पहुंचने में जिनका सर्वाधिक योगदान रहा है, वे हैं इसके प्रबंधक श्री भारत भूषण एवं तकनीकी प्रमुख श्री चन्‍द्र भूषण। जब-जब प्रवक्‍ता के लिए आर्थिक जरूरत हुई या‍ फिर तकनीकी संसाधन की, आप दोनों सहर्ष इसे पूरा करने में जुट गए, मैं इन दोनों महानुभावों के प्रति हार्दिक आभार व्‍यक्‍त करता हूं। इसके साथ ही मैं प्रवक्‍ता के सुधी पाठकों एवं विद्वान लेखकों के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं कि वे वैकल्पिक मीडिया को साकार करने में हमारे हमसफर बने। ‘प्रवक्‍ता’ जब एलेक्‍सा एक लाख क्‍लब में शामिल हुआ, तभी से अनेक मित्रों ने कहना शुरू किया कि इसकी विकास-यात्रा पर आपको कुछ लिखना चाहिए। पिछले दिनों टीवी पत्रकार विकास कौशिक मिले और उन्‍होंने इसी संबंध में एक टीवी स्‍टूडियो में हमसे लंबी चर्चा कर ली। ‘प्रवक्‍ता’ कैसे शुरू हुआ, कैसे आगे बढ़ा, क्‍या-क्‍या दिक्‍कतें आयीं और वेब पत्रकारिता के बारे में मेरी जो समझ बनी थी इस बारे में मैंने उन्‍हें बताया। आज प्रवक्‍ता पर हम इस विशेष वार्ता को भी प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है हमेशा की तरह सुधी पाठकों  का सहयोग व स्‍नेह हमें मिलता रहेगा।

आपका,

संजीव सिन्‍हा

संपादक, प्रवक्‍ता डॉट कॉम