व्यंग्य: तिहाड़ मंत्रिमंडल

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विजय कुमार

लिखने-पढ़ने का स्वभाव होने से कई लाभ हैं, तो कई नुकसान भी हैं। मोहल्ले-पड़ोस में किसी बच्चे को कोई निबन्ध लिखना हो या किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना हो, तो उसके अभिभावक अपना सिर खपाने की बजाय उसे मेरे पास भेज देते हैं।

कल भी ऐसा ही हुआ। बाल की खाल निकालने में माहिर शर्मा जी का बेटा अमन सुबह-सुबह आ गया।

 

 

– अंकल, ये मंत्रिमंडल क्या होता है ?

– मंत्रिमंडल यानि मंत्रियों का समूह।

– पर मंडल का अर्थ तो गोलाकार आकृति होता है ?

– हां; पर इसका एक अर्थ समूह भी है। जैसे तारामंडल अर्थात तारों का समूह। लोकतंत्र में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री शासन चलाने के लिए कुछ लोगों को मंत्री बनाते हैं। इसे ही मंत्रिमंडल कहते हैं।

– लेकिन हमारे विद्यालय में छात्रों का भी एक मंत्रिमंडल है।

– हां, कई विद्यालयों में छात्र अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। वे सब मिलकर फिर अपना छात्रसंघ बनाते हैं, जो छात्रों की समस्याओं के बारे में प्रधानाचार्य और प्रबंधन से मिलकर काम करते हैं।

– हमारी कालोनी में भी एक कमेटी है, मेरे पिताजी उसके मंत्री है। उसकी हर महीने बैठक होती है। क्या उसे भी मंत्रिमंडल की बैठक कह सकते हैं ?

– हां; पर इसके लिए अधिक अच्छा नाम कालोनी की प्रबंध समिति या आवास समिति की बैठक है।

– कल कोई कह रहा था कि कुछ दिन बाद मंत्रिमंडल की बैठक तिहाड़ में होगी। तिहाड़ क्या मसूरी या नैनीताल जैसा कोई ठंडा पहाड़ी स्थान है ? यह भारत में है या विदेश में ?

– तिहाड़ कोई घूमने की जगह नहीं है। यह भारत की राजधानी दिल्ली की प्रसिद्ध जेल है। यहां अपराधी रखे जाते हैं या वे लोग जिन पर अपराधों का आरोप है।

– तो फिर तिहाड़ में मंत्रिमंडल की बैठक क्यों होगी ?

अब तक तो मैंने सुना ही था कि नई पीढ़ी पुरानों से अधिक तेज है; पर आज इसका प्रमाण भी मिल गया। मैं नहीं चाहता था कि अमन जैसा बालक भ्रष्टाचार के बारे में अभी से सोचने लगे। अभी तो उसकी पढ़ने और खेलने की उम्र है; पर वह तो तिहाड़ मंत्रिमंडल के बारे में पूछ रहा था। निःसंदेह यह अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के अनशन का प्रभाव था।

– तिहाड़ में इस समय कई ऐसे नेता बंद हैं, जो कुछ दिनों पहले तक केन्द्रीय मंत्री थे। दिल्ली में हुए गुलाममंडल खेलों के सर्वेसर्वा कलमाड़ी भ्रष्टाचार में अपने सहयोगी दरबारी के साथ वहां हैं। इसके साथ ही करुणानिधि की बेटी कनिमोली, संजय चंद्रा, शाहिद बलवा, आसिफ बलवा, विनोद गोयनका, सिद्धार्थ बेहुरा, गौतम दोषी, हरि नायर जैसे लोग भी हैं। सत्ता के गलियारों में किसी समय इनका बहुत दबदबा था। मंत्री न होते हुए भी वे मंत्रियों के निर्णय बदलवा देते थे; पर समय का फेर है कि अब वे तिहाड़ में हैं।

– क्या कुछ और बड़े मंत्री भी वहां जाएंगे ?

– अखबारों में चर्चा तो है।

– सुना है वहां कोई राजा भी है।

– हां, कुछ महीने पहले तक राजा संचार मंत्री थे। उन पर पौने दो लाख करोड़ रु0 की गड़बड़ का आरोप है।

– पर भारत के राजा तो मनमोहन सिंह हैं ?

– वे देश के प्रधानमंत्री हैं। जो स्थान किसी समय राजा का हुआ करता था, वह लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का होता है।

– तो क्या वे भी तिहाड़ जाएंगे ?

– यह कहना तो कठिन है। वे भ्रष्टाचार को होते देखते तो रहे; पर उन पर सीधे-सीधे कोई आरोप नहीं हैं।

– पर बिना प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल की बैठक कैसे होगी ? इसलिए उन्हें वहां जाना ही चाहिए। क्यों अंकल, वे तिहाड़ कब जाएंगे ?

कहते हैं कि बच्चों के मुंह से भगवान बोलता है। मैं अमन को क्या कहता; पर सच तो यह है कि पूरे देश को इसकी प्रतीक्षा है।

2 COMMENTS

  1. विजय कुमार जी जब भी यह शुभ घडी आएगी मै एक बार पुनः आपको धन्यवाद दूगा .

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