ऐसे नहीं मानने वाला पाक

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-प्रवीण दुबे-

pakistan-flagइसे युद्ध विराम कहा जाए या फिर सीधे-सीधे युद्ध, कुछ लोग एक और शब्द का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, वह है छद्म युद्ध। वास्तव में पाकिस्तान बीते 15 अगस्त से सीमा पर जो कुछ कर रहा है उसे युद्ध की संज्ञा दी जाए तो अतिश्योक्ति नहीं कहा जाना चाहिए और यह सही है तो भारत को भी युद्ध का जवाब युद्ध से ही देने की रणनीति पर विचार करना चाहिए।
वैसे भारत ने पाकिस्तान की फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया है और सचिव स्तर की बातचीत को नकारकर सीधे-सीधे कड़ा संदेश भी दिया है। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि पाकिस्तान के खिलाफ इतना भर क्या पर्याप्त है?
इस विषय पर आगे लिखने से पूर्व सीमा सुरक्षा बल के मुखिया डीके पाठक ने मंगलवार को जो कुछ कहा उस पर गौर करना जरुरी है। श्री पाठक का कहना था कि मैंने 1971 की जंग के बाद ऐसी क्रास बार्डर फायरिंग नहीं देखी। इससे पहले ऐसे कभी नागरिक इलाकों को इस स्तर तक निशाना नहीं बनाया गया। यहां बताना उपयुक्त होगा कि बीते दो हफ्ते में पाकिस्तान ने करीब 20 बार सीज फायर का उल्लंघन किया। इस वजह से भारत के सीमावर्ती इलाकों में करीब 3 हजार लोग अपने घरों को छोड़कर शिविरों में रहने को मजबूर हो गए हैं। इससे भारतीय नागरिकों में काफी डर भी है और उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
बीएसएफ मुखिया पाठक का बयान और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर की जा रही फायरिंग की यह खौफजदा तस्वीर बेहद चिंता का विषय है। आखिर कब तक पाकिस्तान की इस हरकत को बर्दाश्त किया जाता रहेगा? कब तक सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिक पाक गोलाबारी से पलायन करते रहेंगे? आखिर कब होगा भारत की तरफ से निर्णायक जंग का ऐलान? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो हर उस देशभक्त हिन्दुस्थानी के दिल-दिमाग को साल रहे हैं।
जिसे इस भारत माता से यहां की मिट्टी से प्यार है। क्या भारत द्वारा सीमा पर की जा रही कार्रवाई पाकिस्तानी षड्यंत्र के लिए पर्याप्त जवाब कही जा सकती है? क्या इससे पाकिस्तान मानने वाला है?
रक्षा विशेषज्ञों की मानी जाए तो पाकिस्तान द्वारा सीमा पर जारी भारी गोलाबारी का उसी लहजे में जवाब देने से मामला शांत नहीं होने वालाइसका एक ही समाधान है कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत बड़े सैन्य अभियान का शंखनाद करे। यह अभियान 1971 और कारगिल युद्ध जैसा हो सकता है। जब तक पाकिस्तानी सेना को बड़ा सैन्य नुकसान नहीं पहुंचेगा तब तक वह भारत के खिलाफ जारी गोलाबारी को बंद नहीं करने वाला।
उसने हमारे दो नागरिक मारे तो हमने उनके आठ मारे, अब इससे काम चलने वाला नहीं। भारत ने बातचीत से हल निकालने की कोशिश की लेकिन वह असफल रही, सीमा पर सैन्य अधिकारियों की बातचीत भी पाक पर लगाम नहीं लगा सकी। उसका तो एक ही उद्देश्य है कैसे न कैसे भारत को परेशान किया जाए, सीमा पर तनाव बरकरार रखा जाए और आतंकवादियों को भारत में प्रवेश कराया जाए। पूरा विश्व इस बात को भली प्रकार जानता है कि पाकिस्तान भारत से लगी अपनी सीमा पर खुलेआम आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रहा है, यह भी सर्वविदित है कि पाकिस्तानी सेना किस प्रकार खुलेआम आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ कराती रही है और उन्हें आतंक फैलाने के सारे साजो-सामान मुहैया कराती रही है। इन सारी बातों का एक ही समाधान है पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का शंखनाद किया जाए और उसे कड़ा सबक सिखाया जाए।

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प्रवीण दुबे
विगत 22 वर्षाे से पत्रकारिता में सर्किय हैं। आपके राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय विषयों पर 500 से अधिक आलेखों का प्रकाशन हो चुका है। राष्ट्रवादी सोच और विचार से प्रेरित श्री प्रवीण दुबे की पत्रकारिता का शुभांरम दैनिक स्वदेश ग्वालियर से 1994 में हुआ। वर्तमान में आप स्वदेश ग्वालियर के कार्यकारी संपादक है, आपके द्वारा अमृत-अटल, श्रीकांत जोशी पर आधारित संग्रह - एक ध्येय निष्ठ जीवन, ग्वालियर की बलिदान गाथा, उत्तिष्ठ जाग्रत सहित एक दर्जन के लगभग पत्र- पत्रिकाओं का संपादन किया है।

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