विधि-कानून

सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले पर जताया खेद

page30_rs9bL_22980[1]देश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने अपने ही एक फ़ैसले पर पुनः विचार करते हुए उस पर खेद प्रकट किया है। मीडिया में आई खबर के मुताबिक साथ ही उन्होंने तत्समय अपनी कठोर टिप्पणियों के लिए याचिकाकर्ता से माफी मांगी है।

पूरा मामला भोपाल के एक कानवेंट स्कूल के छात्र से जुड़ा है। छात्र ने स्कूल में दाढ़ी रखकर आने की अनुमति मांगी थी। लेकिन स्कूल प्रशासन ने उसे अनुमति नहीं मिली। अंततः इस बाबत मोहम्मद सलीम ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज खटखटाया था। तब न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति आरवी. रवींद्रन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने 30 मार्च को मोहम्मद सलीम की याचिका पर सुनवाई की थी।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति काटजू ने याचिका खारिज कर थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां किसी भी तरह के धार्मिक प्रतीकों का स्कूल अथवा कालेज में प्रदर्शन करना ठीक नहीं है।

याचिकाकर्ता से अपनी टिप्पणी में न्यायमूर्ति काटजू ने कहा था कि भारत का तालिबानीकरण नहीं किया जाना चाहिए। इससे देश की धर्मनिरपेक्ष के स्वरूप को आघात लगेगा।

इसके बाद जब याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका दायर की तो काटजू को अपनी पुरानी उक्ति उचित नहीं लगी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाना कतई नहीं था।