बांधो ना मुझे तुम बंधन में
बांधो न मुझे तुम बंधन में,
बंधन में मैं मर जाऊंगा !
उन्मुक्त गगन का पंछी हूं,
उन्मुक्त ही रहना चाहूंगा !
मिल जाए मुझे कुछ भी चाहे ,
पर दिल को मेरे कुछ भाए ना !
मैं गीत खुशी के गाता था,
मैं गीत ये हरदम गाऊंगा !
उन्मुक्त गगन का पंछी हूं ,
उन्मुक्त ही रहना चाहूंगा !
दूर तलक
राही राहों में न रहना
दूर तलक तुम्हें जाना है
मूंद नहीं यूं आंखें अपनी
अभी तो जग को जगाना ।।
मंजिल तो अभी दूर बडी है
परीक्षा की तो यही घडी है
जोश जगा ले रगों में अपनी
अब नहीं चलना कोई बहाना है ।।
माना ज़माने की भीड में –
तुझको है खोने का डर
मंजिल पे नज़र टिकाए रख तू
भर के साहस हर काम तू कर
सोच तझे भी कुछ कर दिखाना है।।
Bahut badhiya.
माना ज़माने की भीड में –
तुझको है खोने का डर
मंजिल पे नज़र टिकाए रख तू
भर के साहस हर काम तू कर
सोच तझे भी कुछ कर दिखाना है।। बहुत खूब !!