राजनीति भारत में ‘राष्ट्रवाद और अंधराष्ट्रवाद का फर्क पुनः परिभाषित किया जाना जरुरी है ! August 29, 2015 / August 30, 2015 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment किसी के लिए मैं दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक राष्ट्र हूँ ! किसी के लिए मातृभूमि हूँ ! किसी के लिए मादरे-वतन हूँ ! किसी के लिए सारे ‘जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा’ हूँ ! किसी के लिए आरक्षण की वैतरणी हूँ ! किसी के लिए तिजारत का बहुत बड़ा बाजार हूँ !किसी के लिए […] Read more » Featured अंधराष्ट्रवाद राष्ट्रवाद