कविता अट्टहास सुन रहे हो काल का???? September 3, 2015 by राम सिंह यादव | Leave a Comment इस धरती को जीने योग्य कैसे बनाएँ? अट्टहास सुन रहे हो काल का???? अबूझ गति खंड की जो क्षण का वेग है।।।।।। अनसुलझे किस्सों में हिन्दू – मुसलमान हैं……….. असंख्य धर्म हैं अनंत मर्यादाएं हैं………. सब जीवंत हैं और सब मृत भी……… शिव के शाश्वत ब्रह्मांड में युगों से लिखी लहरियाँ […] Read more » Featured अट्टहास सुन रहे हो काल का????