कविता
अन्न भोजन संसार का, किसान का रोना है
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायककिसान लड़ रहे कीमत पाने उस धान के लिए,जो खलिहान की खखरी, व्यापारी का सोना है! किसान आज अड़ गए अपने सम्मान के लिए,अन्न भोजन संसार का, किसान का रोना है! किसान गुहार कर रहे अपने सामान के लिए,जिसका मालिक वो, किन्तु भाग्य में खोना है! किसान कभी लड़ते नहीं स्वगुणगान के लिए,जिसे […]
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