कविता अब ब्रज नहीं है वैसों September 12, 2023 / September 12, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment (ब्रजदर्शन के बाद )जे वृन्दावन धाम नहीं है वैसो,कान्हा के समय रहो थो जैसोसमय बदलते बदले सब हालवृन्दावन हुओ अब बेहाल।कान्हा ग्वालों संग गैया चराई,वो जंगल अब रहो नही भाईनिधिवन सेवाकुंज बचो है,राधा कृष्ण ने जहां रास रचो है।खो गई गलियां खो गये द्वारे,नन्दगाॅव की पीर कौन बिचारे।सघनकुंज की छाया को सब तरसे,बृजवासी ही बृजभाषा […] Read more » अब ब्रज नहीं है वैसों