विविधा आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-4 March 5, 2013 / July 19, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-4 गतांक से आगे…. ‘ध’ धकार को दकार का विपरीतार्थक माना गया है। दकार में यदि देना ही देना है तो इसमें लेना ही लेना है अर्थात धारण करना। धारण करके धारणा स्थापित कराना बुद्घि का कार्य है, इसलिए बुद्घि को संस्कृत में धी: कहा गया है। गायत्री मंत्र में हम कहते हैं-धियो योन: प्रचोदयात अर्थात […] Read more » आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2
जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-3 February 25, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ‘छ’ छकार को हमारे भाषाविदों ने छाया, आच्छादान, छत्र, परिच्छेद, अखण्ड, छेद आदि का समानार्थक माना है। छत, छाता, छवि, छत्वर: (इसी छत्वर से छप्पर शब्द बना है क्योंकि छत्वर: का एक अर्थ पर्णशाला भी है) छिपना, छिपाना, इत्यादि शब्द छ को छाया आदि का समानार्थक सिद्घ करते हैं। इसकी आकृति में बाहरी ओर से […] Read more » आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2 हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-3
जन-जागरण जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2 February 12, 2013 / February 12, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 3 Comments on आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2 व्यंजन अक्षर अभी तक हमने हिंदी वर्णमाला के स्वर कहे जाने वाले अक्षरों के विषय में कुछ समझने का प्रयास किया है। अब हम व्यंजनों के विषय में चर्चा करते हैं। जिन वर्णों को बोलते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़े उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 33 है। ये स्वरों की सहायता से बोले […] Read more » आओ समझें: हिन्दी अक्षरों का वैज्ञानिक स्वरूप-भाग 2