कविता आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता March 28, 2024 / March 28, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता,अब भोली सूरत दिखनेवाला भी कातिल शैतान होता! आज दोस्त व दुश्मन आसानी से पहचाने नहीं जाते,चाहे मानो या ना मानो पर साधु वेश में रावण आते! कोई भी खुशामदी दरवाजे पर आकर कहे भैया दीदी,उसके द्वारा की गई प्रशंसा से मत पसीजो बहन जी! […] Read more » आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता