कविता साहित्य कंगना के मन की पीड़ा September 12, 2020 / September 12, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे,हां,तुम मुझे भुला ना पाओगे।पंगा लिया है तुमने मुझसेउसका खामियाजा तो उठाओगे। यह देश है सभी वासियों काअकेला नहीं हैं ये तुम्हारा।महाराष्ट्र है उसका एक हिस्साक्यो बनाते हो अलग किनारा सारा देश मेरे साथ खड़ा है,तुम्हारे साथ कौन खड़ा है ?चन्द गुंडों को साथ लिया हैये काम न कोई बडा […] Read more » कंगना के मन की पीड़ा
कविता कंगना के मन की पीड़ा September 10, 2020 / September 10, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आहत है आज सारा संसार तेरी करतूतों से,पता लगेगा तुझको,जब स्वागत होगा जूतों से। वर्षों लग जाते है एक आशियाना बनाने में,तुझे चंद घंटे लगे मेरा आशियाना तुड़वाने में। क्या मिला तुझको एक नारी को करके बेदखल,पता लगे तुझको जब सत्ता से होगा तू बेदखल। बदले की भावना थी उसे तुम क्यो छिपाते हो,सत्ता से […] Read more » कंगना के मन की पीड़ा