कविता
कभी अण्डा भी उडता है?
/ by डॉ. मधुसूदन
डॉ. मधुसूदन किसी खूँटे से बंध कर, मुक्त हुआ नहीं जाता। संदूक में बंद हो कर , बाहर देखा नहीं जाता। ॥१॥ अण्डा फोडकर निकलता है, गरूड का बच्चा बाहर; अंडे में कैद हो, अंबर में, कभी उडा नहीं करता। ॥२॥ किताबी ज़ंज़ीर से, जकड-बंध बंदों को, दुनिया का खालिस नज़ारा, दिखलाया नहीं जाता। ॥३॥ […]
Read more »