कविता साहित्य कुचल दो कुयाशा की शाखाएँ ! September 18, 2017 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment कुचल दो कुयाशा की शाखाएँ, कुहक ले चल पड़ो कृष्ण चाहे; कृपा पा जाओगे राह आए, कुटिल भागेंगे भक्ति रस पाए ! भयंकर रूप जो रहे छाए, भाग वे जाएँगे वक़्त आए; छटेंगे बादलों की भाँति गगन, आँधियाँ ज्यों ही विश्व प्रभु लाएँ ! देखलो क्या रहा था उनके मन, जान लो कहाँ […] Read more » कुचल दो कुयाशा की शाखाएँ !