कविता गांव से शहर June 17, 2014 / October 8, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- नदिया के तीरे पर्वत की छांव, घाटी के आँचल मे मेरा वो गांव। बस्ती वहां एक भोली भाली, उसमे घर एक ख़ाली ख़ाली। बचपन बीता नदी किनारे, पेड़ों की छांव में खेले खिलौने। कुछ पेड़ कटे कुछ नदियां सूखीं, विकास की गति वहां न पहुंची। छूट चला इस गांव से नाता, कोलाहल से […] Read more » गांव गांव कविता गांव से शहर शहर शहर कविता हिन्दी कविता