धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५८ April 30, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- “राधा!” उद्धव के कंठ से अस्फुट स्वर निकला। “कौन, उद्धव?” राधा का प्रतिप्रश्न उद्धव जी ने सुना। गोपियों से बात करते-करते, उन्हें समझाते-बुझाते सूरज कब पश्चिम के क्षितिज पर पहुंच गया उद्धव जी को पता ही नहीं चला। राधा ने उद्धव जी के पास आने की आहट भी नहीं सुनी। उद्धव जी […] Read more » Featured कृष्ण गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५८ श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म विविधा यशोदानंदन-५६ April 28, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- उद्धव ने प्रत्यक्ष देखा कि श्रीकृष्ण के स्नेहपाश में बंधे नन्द बाबा और मातु यशोदा अपने पुत्र के असामान्य कार्यों का वर्णन करते-करते अत्यन्त व्याकुल हो गए और कुछ न बोल सके। दोनों का एक-एक पल श्रीकृष्ण के चिन्तन को समर्पित था। उनके अगाध वात्सल्य, प्रेम और स्नेह से उद्धव भी अभिभूत […] Read more » Featured कृष्ण गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५६ श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म विविधा यशोदानंदन-५३ April 25, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- श्रीकृष्ण ने एक संक्षिप्त उत्तर दिया और उसके बलिष्ठ हाथों को ऐसा जोरदार झटका दिया कि वह सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ सीधे धरती पर पीठ के बल जा गिरा। उसका स्वर्ण-मुकुट ठन-ठन आवाज करता हुआ लुढ़कते-लुढ़कते जनसमूह में विलीन हो गया। उसके रूखे घने केश अस्त-व्यस्त होकर बिखर गए। बड़े-बड़े और शक्तिशाली […] Read more » Featured कृष्ण गीता गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५३ श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म विविधा यशोदानंदन-५१ April 23, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment -विपिन किशोर सिन्हा- “हे नन्दलाल! हे श्रीकृष्ण-बलराम! तुम दोनों आदरणीय वीर हो। हमें महाराज द्वारा ज्ञात हुआ है कि तुम दोनों मल्ल-उद्ध में निपुण हो। तुम्हारा कौशल देखने के लिए ही तुम्हें यहां आमंत्रित किया गया है। नीति वचन है कि जो प्रजा मन, वचन और कर्म से राजा का प्रिय कार्य करती है, उसका […] Read more » Featured कृष्ण गोपियां यशोदा यशोदानंदन-५१ श्रीकृष्ण