आलोचना छिनाल के आगे की बहस August 8, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. सुभाष राय | 9 Comments on छिनाल के आगे की बहस -डा. सुभाष राय उत्तर भारत के हिंदीभाषी ग्रामीण इलाकों का एक बहुप्रचलित शब्द है छिनाल। इस शब्द ने हाल ही में हिंदी जगत में बड़ा बवाल मचा दिया। इसका प्रयोग अमूमन उन महिलाओं के लिए किया जाता है, जो अपने पति के प्रति वफादार नहीं होती और उसकी जानकारी के बिना तमाम पुरुषों से देह […] Read more » Narayan Rai छिनाल विभूति नारायण राय
साहित्य ”छिनालवाद” को जन्म देने वाली ये साहित्यिक विभूतियाँ August 4, 2010 / December 22, 2011 by गिरीश पंकज | 9 Comments on ”छिनालवाद” को जन्म देने वाली ये साहित्यिक विभूतियाँ -गिरीश पंकज साहित्य में इन दिनों ” छिनालवाद” का सहसा नव-उदय हुआ है. इसके आविष्कर्ता है वर्धा के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति विभूतिनारायण राय. यह ”छिनालवाद” इस वक्त सुर्ख़ियों में है और लम्बे समय तक रहेगा. साहित्य में चर्चित बने रहने के लिये कुछ हथकंडे अपनाये जाते हैं, ”नवछिनालवाद” इसी हथकंडे की उपज है. ”नया […] Read more » Chinal छिनाल विभूति नारायण राय
साहित्य हंगामा है क्यूं बरपा… August 3, 2010 / December 22, 2011 by प्रेम जनमेजय | Leave a Comment -प्रेम जनमेजय साहित्य मे हंगामे न हो तो साहित्य किसी विधवा की मांग या फिर किसी राजनेता का सक्रिय राजनीति से दूर जैसा लगता है। अब किसी ने नशे में कुछ कह दिया है तो इतना हंगामा मचाने की क्या आवश्यकता है। पी कर हंगामा करना कोई बुरी बात है। अब पीकर हंगामा न हो […] Read more » Chinal छिनाल विभूति नारायण राय