गजल साहित्य जब मैं तुम्हारे संग हूँ ! February 13, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment जब मैं तुम्हारे संग हूँ, तब भी मैं कहाँ तुम्हारे साथ हूँ; तुम्हारी संस्थागत सत्ता में रहते हुए भी, मैं विश्व व्यापी व्यवस्था का परिद्रष्टा हूँ ! मेरे प्राण की फुहार केवल तुम तक नहीं रहती, वह हर पल शून्य के गह्वर में विचर कर आती है; तुम्हारे ढिंग सोया भी, मैं उसकी गोद में […] Read more » जब मैं तुम्हारे संग हूँ !