लेख जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है? December 20, 2019 / December 20, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-जीवन से जुड़ा एक बड़ा सवाल है कि विषम परिस्थितियां क्यों आती है? जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है? क्यों हम स्वयं से ही खफा से रहने लगते हैं? इसका सबसे बड़ा कारण है हमने जीने के जो साफ-सुथरे तरीके थे या जो जीवनमूल्य थे उन्हें भूला दिया है। जिंदगी का मकसद […] Read more » loife becoming burden जिन्दगी
समाज जिन्दगी हर पल एक नया अवसर है September 4, 2019 by ललित गर्ग | 1 Comment on जिन्दगी हर पल एक नया अवसर है ललित गर्ग हमारी जिंदगी उतार-चढ़ावों से भरी होती है। और हम सब सोचते हैं कि यदि अवसर मिलता तो एक बढ़िया और नेक काम करते। लेकिन हमारी बढ़िया या नेक काम करने की इच्छा अधूरी ही रहती है क्योंकि अक्सर जब हम जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हैं, तब उससे निकलने और जब अच्छे […] Read more » जिन्दगी
कविता कविता: जिन्दगी – लक्ष्मी नारायण लहरे May 16, 2012 / May 16, 2012 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment आपना पन कहें या दोस्ताना अजीब चाहत है इस जीवन में सिर्फ संघर्ष भरी राहें है अपनों के बीच भी हम अकेले है एक -दुसरे के प्रेम से बंध कर स्वार्थ भरी जीवन जी रहे है जिन्दगी ….. की जंग में भाई -भाई को नहीं समझता माँ -बाप को नही पहचानते स्वार्थ ,भरी जीवन जी […] Read more » कविता कविता - जिन्दगी जिन्दगी लक्ष्मी नारायण लहरे