राजनीति व्यंग्य साहित्य खाट सभा और टाट सभा September 8, 2016 / September 8, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment कल शाम शर्मा जी के घर गया, तो वे माथे पर हाथ रखे ऐसे बैठे थे, जैसे सगी सास मर गयी हो। हर बार तो मेरे आने पर वे हंसते हुए मेरा स्वागत करते थे, पर आज उनमें कोई हलचल ही नहीं थी। भाभी जी भी घर पर नहीं थी। इसलिए मैंने रसोई से एक […] Read more » Featured खाट सभा टाट सभा