कविता साहित्य तुम याद आते हो August 18, 2017 by अनुप्रिया अंशुमान | Leave a Comment मेरे गाँव,मेरे देश,तुम बहुत याद आते हो जब ढूँढना पड़ता है, एक छांव वो नल, जो बिन पैसे की ही प्यास बुझाती है तब मेरे गाँव, तुम बहुत याद आते हो निगाहें टिक गयी ,उन आते जाते लोगों देखकर पर हृदय में कोई रुदन करता है कि क्यूँ … मैं भी आज इसका किस्सा हूँ […] Read more » तुम याद आते हो