कविता साहित्य
दिल्ली पुस्तक मेला
by बीनू भटनागर
प्रगति मैदान लग गया,पुस्तक का भण्डार अपना अपना शोर है, अपनी अपनी रार! बड़े-बड़े लोगों के ,अपने अपने स्टाल, वे ही सब ले जायेंगे,पुरुस्कार या शाल! बड़े बड़े अब रचयिता, आये दिल्ली द्वार, किसकी किताब ने किया,सर्वाधिक व्यापार? कवि व्यापारी से लगें,जब बेचते किताब, आज एक से लग रहे, आफ़ताब महताब! मेला किताब का लगा,होगा […]
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