पर्यावरण तबाही की पूर्व सूचना है नलकूप क्रांति September 21, 2012 / September 21, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव हमारे देश में बीते चौसठ सालों के भीतर जिस तेजी से कृत्रिम, भौतिक और उपभोक्तावादी संस्कृति को बढावा देने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा है उतनी ही तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का या तो क्षरण हुआ है या उनकी उपलब्धता घटी है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है ”पानी। ‘जल ही जीवन […] Read more » नलकूप क्रांति