समाज पाश्चात्य समीक्षकों की दृष्टि में गीतांजलि May 29, 2018 by डॉ छन्दा बैनर्जी | Leave a Comment डॉ. छन्दा बैनर्जी सन् 1913 का वर्ष न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए आध्यात्मिक-ऐश्वर्य का अभूतपूर्व वर्ष था । इसी वर्ष विश्वसाहित्याकाश में ध्रुवतारा सदृश भारत की पहचान बनी थी रवीन्द्रनाथ ठाकुर की लेखनगर्भ से जन्मी ‘गीतांजलि’ । ‘गीतांजलि’ – अर्थात ईश्वर के प्रति गीतों की अंजली । गीतांजलि केवल कुछ […] Read more » Featured गीतांजलि नोबल पुरस्कार यूनाइटेड किंगडम की रॉयल सोसाइटी रवीन्द्रनाथ रवीन्द्रनाथ ठाकुर श्री बसन्त कुमार राय
व्यंग्य नोबल पुरस्कार और गन्दगी March 9, 2010 / December 24, 2011 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment हम घर से निकले तो देखा कि कुडे करकट के ढेर के पास दडबे नुमा मकान में रहने वाला फटेहाल चितवन जो हमेशा ही मायूस और डरावनी सी खामोसी को चेहरे पर ओढे रखता था। आज अपनी बेगम को बडे ही उत्साह के साथ बता रहा था कि बेगम तुम्हे मालूम है कि समय सब […] Read more » Nobel Prize नोबल पुरस्कार