कविता
प्रवासी
/ by बीनू भटनागर
एक बहतर ज़िन्दगी, जिसकी तलाश मे, सुदूर देशों मे जा बसे कुछ लोग फोटो फ्रेमो मे, अपना अतीत दीवारों पर निहारते, कुछ लोग पुरखों के चित्र, उनकी निशानियाँ, संजोते, संभालते, कुछ लोग। अपनी पहचान, खोने के डर मे, घबराये से, कुछ लोग, छोड़ आये जो, घर आँगन अपना, उसे बुहारते है, ख़यालों मे, कुछ लोग। […]
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