गजल जवानी जो आई बचपन की हुड़दंगी चली गई September 4, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment रूपेश जैन ‘राहत जवानी जो आई बचपन की हुड़दंगी चली गई दफ़्तरी से हुए वाबस्ता तो आवारगी चली गई शौक़ अब रहे न कोई ज़िंदगी की भागदौड़ में दुनियाँ के दस्तूर में मिरि कुशादगी चली गई ज़िम्मेदारियों का वज़न ज्यूँ बढ़ता चला गया ईमान पीछे छूट गया और शर्मिंदगी चली गई भागते भागते दौलतें न […] Read more » आवारगी जवानी जो आई बचपन की हुड़दंगी चली गई शर्मिंदगी