गजल बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ….. October 18, 2012 / October 17, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ….. इक़बाल हिंदुस्तानी मजबूर हूं मगर मुझे लाचार मत समझ, बेरोज़गार हूं मगर बेकार मत समझ। मेरी तरह सभी को क़लम तो नहीं मिली, बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ। इल्ज़ाम का भी देंगे तेरे वक़्त पर जवाब, कुछ मस्हलत है चुप हैं ख़तावार मत समझ। क़ीमत अदा करोगे तो लिखदेंगे […] Read more » gazal by iqbal hindustani बाग़ी करोड़ों लोग हैं दो चार मत समझ.....