कविता बेटी को प्रणाम January 29, 2014 / January 29, 2014 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on बेटी को प्रणाम हे दिव्य प्रेम की शिखर मूर्ति तुम ही हो जननी भगिनी तुम्हीं तुम्हीं हो पत्नी पुत्री तुम्हीं। हे कोटि कंठों का दिव्य गान तुम ही हो भक्ति शक्ति तुम्हीं तुम ही हो रिद्धि सिद्धि तुम्हीं तुम ही हो शान्ति क्रान्ति तुम्हीं तुम ही हो धृति कृति तुम्हीं तुम ही हो मृत्यु सृष्टि तुम्हीं तुम ही […] Read more » poem बेटी को प्रणाम