धर्म-अध्यात्म आचार्य महाश्रमणः धरती पर थिरकता अध्यात्म का जादू April 24, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment आचार्य महाश्रमण के 57वें जन्म दिवस, 24 अप्रैल 2018 पर विशेष -ललित गर्ग- आचार्य महाश्रमण एक ऐसी आलोकधर्मी परंपरा का विस्तार है, जिस परंपरा को महावीर, बुद्ध, गांधी, आचार्य भिक्षु, आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने अतीत में आलोकित किया है। अतीत की यह आलोकधर्मी परंपरा धुंधली होने लगी, इस धुंधली होती परंपरा को आचार्य […] Read more » Featured अहिंसा आचार्य श्री महाश्रमण आत्मविश्वास जाति धर्म नेपाल पुरुषार्थी प्रयत्न प्रांत वर्ग वर्ण समर्पण
लेख वर्ण धर्म और भक्ति : हरि को भजे सो हरि का होई December 28, 2017 / December 28, 2017 by डॉ. चंदन कुमारी | Leave a Comment डॉ. चंदन कुमारी क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर– इन पंचभूतों की समनिर्मिति है समग्र सृष्टि फिर भेद-भाव वाली द्वैतबुद्धि का औचित्य कैसा ! गोस्वामी तुलसीदास के काव्य में वर्णाश्रम धर्म की मर्यादा झलकती है | उस वर्णाश्रम धर्म का मूल स्वरूप मानो आज धूमिल हो गया है और उसके भ्रामक संस्करण को गले लगाकर […] Read more » caste caste Religion and Devotion Devotion Religion धर्म भक्ति वर्ण
धर्म-अध्यात्म मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था June 10, 2015 by शिवदेव आर्य | Leave a Comment -शिवदेव आर्य- वर्णाश्रम व्यवस्था वैदिक समाज को संगठित करने का अमूल्य रत्न है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने समाज को सुसंगठित, सुव्यवस्थित बनाने तथा व्यक्ति के जीवन को संयमित, नियमित एवं गतिशील बनाने के लिए चार वर्णों एवं चार आश्रमों का निर्माण किया। वर्णाश्रम विभाग मनुष्य मात्र के लिए है, और कोई भी […] Read more » Featured मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था वर्ण वेद