कविता रक्तिम – भँवर July 24, 2018 / July 24, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment रक्तिम – भँवर आलोक पाण्डेय भर – भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों का हर्ष ? मन्द हसित , स्वर्ण पराग सी , विरह में प्रिय का प्रिय आह्वान , या सोच रहे किस- क्रुर प्रहार से छुटा […] Read more » उर निकुंज कुंकुम कुसुम - कलेवर घुँघरू प्रणय के आस बिन्दी रक्तिम - भँवर रोली विलुलित आँचल सब कुछ डूब भँवर जाने दो ; सान्ध्य-रश्मियों का विहार